कपिला वात्स्यायन के निधन पर शांता कुमार ने जताया शोक
भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भारत की प्रसिद्ध साहित्यकार व पद्म भूषण से सम्मानित कपिला वात्स्यायन को श्रद्धांजलि दी।
पालमपुर, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भारत की प्रसिद्ध साहित्यकार व पद्म भूषण से सम्मानित कपिला वात्स्यायन के स्वर्गवास पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1978 को कमला वात्सायन अपने पति अज्ञेय के साथ मेरे निमंत्रण पर शिमला आये थे। मुख्यमंत्री निवास में उनसे बहुत देर बात की थी।
उन्होंने कहा कि वे हिमाचल प्रदेश में हिंदी लागू करने के ऐतिहासिक कार्यक्रम में पधारे थे। आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी थी। विधानसभा का पहला अधिवेशन था। वे विधान सभा में हिंदी लागू करने की घोषणा करना चाहते थे। दौलत राम चौहान के अतिरिक्त लगभग सभी मंत्री मुख्य सचिव व अन्य सचिव इतनी जल्दी हिंदी लागू करने के विरूद्व थे। वे विधान सभा की ओर जाते-जाते श्री दौलतराम चौहान को एक तरफ ले गये उन्हें कहा - ”एक विद्वान ने कहा है कि भगवान के बाद सरकार ही सर्व शक्तिमान होती है। मैं सरकार का मुख्यमंत्री - आप सरकार में शिक्षा मंत्री - अभी चल कर विधान सभा में मैं घोषणा कर रहा हूं कि 26 जनवरी से हिमाचल प्रदेश में काम-काज की भाषा हिंदी होगी। दौलत राम चौहान जोर से हंसे हाथ मिलाया। विधान सभा में जाकर अन्य निर्णयों के साथ मैंने घोषणा कर दी। हमारी घोषणा के बाद वही प्रशासन जो इंकार कर रहा था हमारे निर्णयों को पूरा करने में लग गया और दो महीने के बाद शिमला के गेयटी-थिएटर में 26 जनवरी 1978 को अज्ञेय और उनकी धर्मपत्नी तथा बहुत से साहित्यकारों की उपस्थिति में प्रदेश में पहली बार हिंदी को लागू किया गया।
शांता कुमार ने कहा कि दृढ. संकल्प और इच्छा शक्ति हो तो असंभव दिखने वाले कार्य भी संभव हो जाते हैं। उन्होंने कहा मेरी आंखों में 42 साल पहले का वह ऐतिहासिक व गौरवशाली क्षण आज भी चमक रहे हैं।