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सोलन जिला में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ा, इस वर्ष 2899 किसानों ने अपनाई विधि

Himachal Pradesh Farmers News सोलन जिला में प्राकृतिक खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कैमिकल को छोड़ कर अब किसान घरेलू खाद का प्रयोग कर रहे हैं। बीते एक वर्ष के दौरान सोलन जिला में 2899 किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 07:12 AM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 08:16 AM (IST)
सोलन जिला में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ा, इस वर्ष 2899 किसानों ने अपनाई विधि
सोलन जिला में प्राकृतिक खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है।

सोलन, भूपेंद्र ठाकुर। Himachal Pradesh Farmers News, सोलन जिला में प्राकृतिक खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कैमिकल को छोड़ कर अब किसान घरेलू खाद का प्रयोग कर रहे हैं। बीते एक वर्ष के दौरान सोलन जिला में 2899 किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है। यह किसान 183 हैक्टेयर जमीन पर प्राकृतिक खेती का उत्पादन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार सोलन जिला में सबसे अधिक नगदी फसलों उत्पादन करते हैं। जिला के अर्की, कुनिहार, देवठी, सबाथू, सोलन व चायल क्षेत्रों में किसानों द्वारा नगदी फसलें लगाई जाती है। नगदी फसलों में प्रयोग होने वाले जहरीले कैमिकल की जगह अब किसान खट्टी लस्सी का प्रयोग कर रहे हैं। फसलों को किट पंतगों से बचाने के लिए जीवा अमृत का प्रयोग किया जा रहा है। इसी प्रकार नीम से बनने वाली घरेलू किटनाशक का चलन भी काफी तेजी से बढ़ रहा है।

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कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिला भर में कुल 8936 किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है। इन किसानों द्वारा 832 हैक्टेयर क्षेत्रों में फसलें लगाई गई हैं जिनकी उत्पादन घरेलू खाद के प्रयोग से ही किया जा रहा है। खास बात यह है कि पहले की अपेक्षा फसलों का उत्पादन अधिक हुआ है। यानि जीरो खर्च में अधिक मुनाफा इन किसानों द्वारा अर्जित किया जा रहा है।

कृषि विभाग द्वारा आत्मा प्रोजेक्ट के तहत अब तक 8512 किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें से अधिकत्तर किसान विभाग से प्रशिक्षण लेने के बाद प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। जिला के नालागढ़, बद्दी, परवाणू व आसपास के क्षेत्रों में किसानों द्वारा अब गेंहू व धान का उत्पादन भी प्राकृतिक खाद के माध्यम से ही किया जा रहा है।

इसी प्रकार सोलन जिला टमाटर उत्पादन में अग्रणी है। जिला के किसानों ने टमाटर में भी अब कैमिकल की जगह खट्टी लस्सी व जीवा अमृत आदि का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। अच्छी बात यह है कि जिला भर में प्राकृ़तिक खेती का दायरे लगातार बढ़ रहा है। किसान एक दुसरे को देख कर यह खेती अपना रहे हैं।

आत्मा प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक सुरेंद्र कुमार का कहना है कि विभाग द्वारा समय समय पर किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रात्सोहित किया जाता है तथा विभिन्न योजनांओं के माध्यम से किसानों को सबसिडी भी दी जा रही है ताकि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले।


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