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छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा: प्रदेश के ओबीसी व एससी/एसटी विद्यार्थियों के डकारे 11 करोड़, सीबीआइ जांच में खुलासा

Scholarship Scam ऊना के बाद अब पंजाब के नवांशहर स्थित केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट््यूट के खिलाफ एक और मामले में कानूनी शिकंजा कसेगा।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 11:43 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 11:43 AM (IST)
छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा: प्रदेश के ओबीसी व एससी/एसटी विद्यार्थियों के डकारे 11 करोड़, सीबीआइ जांच में खुलासा
छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा: प्रदेश के ओबीसी व एससी/एसटी विद्यार्थियों के डकारे 11 करोड़, सीबीआइ जांच में खुलासा

शिमला, रमेश सिंगटा। ऊना के बाद अब पंजाब के नवांशहर स्थित केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट््यूट के खिलाफ एक और मामले में कानूनी शिकंजा कसेगा। इस संस्थान का बड़ा कारनामा सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की जांच में पता लगा है कि हिमाचल प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति का 11 करोड़ रुपये डकारा गया है।

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सूत्रों के अनुसार विद्यार्थियों के नाम पर बैंकों में फर्जी खाते खोले गए।

दाखिलों के दौरान फार्म भरने के साथ ही बाउचर पर भी हस्ताक्षर लिए गए। बाद में इनके हिस्से की छात्रवृत्ति संस्थान के कर्ताधर्ता हड़प गए। अब जल्द ही जांच पूरी होने वाली है। धोखाधड़ी के सैकड़ों विद्यार्थी शिकार हुए हैं, लेकिन इनमें से 45 की पहचान हो गई है। इनके बयान कलमबद्व किए गए हैं।

पहली चार्जशीट में ये हैं आरोपित

260 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में पहली चार्जशीट ऊना के पंडोगा स्थित केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के खिलाफ दर्ज की गई। इसमें हिमाचल के शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राजटा, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष हितेश गांधी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेड कैशियर रहे एसपी सिंह आरोपित हैं। गांधी अब दूसरे मामले में भी आरोपित बनेगा। इन तीनों को सीबीआइ गिरफ्तार कर चुकी है। एसपी सिंह को भी चार्जशीट किया गया है। गांधी अभी जेल में हैं।

क्या है छात्रवृत्ति घोटाला

2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ रुपये और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में हुई है। इस छात्रवृत्ति में कुल 260 करोड़ 31 लाख 31,715 रुपये दिए गए हैं। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के विद्यार्थियों को मिलनी थी, उसे देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है।


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