बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के दो आरोपितों को सशर्त जमानत, एक करोड़ के निजी मुचलके पर राहत
Scholarship Scam प्रदेश हाईकोर्ट ने बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपित व ऊना के केसी ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी व उच्चत्तर शिक्षा निदेशालय में तैनात तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राज्टा की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें सशर्त जमानत प्रदान कर दी।
शिमला, विधि संवाददाता। प्रदेश हाईकोर्ट ने बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपित व ऊना के केसी ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी व उच्चत्तर शिक्षा निदेशालय में तैनात तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राज्टा की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें सशर्त जमानत प्रदान कर दी। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने प्रार्थी हितेश गांधी को 1 करोड़ रुपये के निजी मुचलके व 25-25 लाख रुपये के दो श्योरिटी बॉन्ड भरने की शर्त के साथ जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए। कोर्ट ने अरविंद राजटा को भी 25 लाख रुपये के निजी मुचलके व इतनी ही राशि के दो श्योरिटी बांड भरने की शर्त के साथ जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।
उल्लेखनीय है कि 3 जनवरी को हिमाचल में 250 करोड़ के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में जुटी सीबीआइ ने पहली बार तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राज्टा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की नवांशहर शाखा के हेड कैशियर एसपी सिंह और ऊना के केसी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी के नाम शामिल थे। जांच में राज्टा की भूमिका संदिग्ध मिली थी। आरोप है कि वह घोटाले वाले समय के दौरान शिक्षा मुख्यालय में उस सीट पर तैनात रहा है, जहां से छात्रवृत्ति वितरण का काम संचालित होता था। सीबीआइ ने ऊना के केसी इंस्टीट्यूट पर छापा मारकर भी दस्तावेज सीज किए थे।
2019 में हुई थी प्राथमिकी
हिमाचल सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने 9 मई 2019 को एफआइआर दर्ज की थी। पांच दिन बाद ही हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 22 शैक्षणिक संस्थानों के ठिकानों पर छापे मारे गए। यह कार्रवाई हिमाचल में शिमला, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, चंबा और कांगड़ा के अलावा करनाल, मोहाली, नवांशहर, अंबाला और गुरदासपुर स्थित कई शैक्षणिक संस्थानों पर की गई। साथ ही बैंकों में भी छापा मारा था। शिक्षा विभाग की जांच के दौरान साल 2013-14 से 2016-17 तक 2.38 लाख एससी, एसटी और ओबीसी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति जारी करने के दौरान हुई गड़बड़ी की बात सामने आई। इसी दौरान 2772 शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति बंटी, जिसमें 266 निजी शिक्षण संस्थान शामिल थे।
छात्रवृत्ति के लिए जारी हुई थी करोड़ों की राशि
निजी शिक्षण संस्थानों को 210 करोड़ और सरकारी संस्थानों को 56 करोड़ की राशि दी गई। 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19915 को चार मोबाइल फोन नंबरों से जुड़े बैंक खातों में राशि जारी की गई। मामला बड़े शिक्षण संस्थानों व दूसरे राज्यों से भी जुड़ा था, ऐसे में सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।