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सायर उत्सव से होता है सर्दियों का आगाज

शिवालिक नरयाल भवारना सायर उत्सव अश्विन माह की संक्रांति को जिले में धूमधाम से मनाया जाता है

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 08:10 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 05:15 AM (IST)
सायर उत्सव से होता है सर्दियों का आगाज
सायर उत्सव से होता है सर्दियों का आगाज

शिवालिक नरयाल, भवारना

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सायर उत्सव अश्विन माह की संक्रांति को जिले में धूमधाम से मनाया जाता है। वास्तव में यह त्योहार वर्षा ऋतु के खत्म होने और शरद ऋतु के आगाज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस समय खरीफ की फसलें पक जाती हैं और काटने का समय होता है तो भगवान का धन्यवाद करने के लिए यह त्योहार मनाते हैं। सायर के बाद ही खरीफ फसलों की कटाई की जाती है। इस दिन सायर माता को फसलों का अंश और मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं। साथ ही राखियां भी उतार कर चढ़ाई जाती हैं।

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ठंडे इलाकों में इसे सर्दी की शुरुआत माना जाता है। लोग सर्दियों के लिए अनाज और लकड़ियां जमा कर रख लेते हैं। सायर के बाद दिवाली तक विभिन्न व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं।

-कृष्णा देवी

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इस त्योहार को मनाने के लिए एक धारणा यह भी है कि प्राचीन समय में बरसात के मौसम में लोग प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो जाते थे। जो लोग बच जाते थे वे खुद को भाग्यशाली समझते थे और इस त्योहार को खुशी से मनाते थे।

-प्रीतम चंद

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सायर अनाज, पूजा और बैलों की खरीद- फरोख्त के लिए मशहूर है। कृषि से जुड़ा यह पर्व ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी मनाया जाता है। बरसात के बाद फसलों के पकने और सर्दियों के लिए चारे की व्यवस्था किसान इस त्योहार के बाद ही करते हैं।

-विचित्र सिंह

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इस दिन ये बनते हैं पकवान

सायर उत्सव पर छह से सात पकवान बनाए जाते हैं। इनमें पतरोड़े, पकोडू और भटुरु जरूर होते हैं। इसके अलावा खीर व गुलगुले भी बनाए जाते हैं। यह पकवान एक थाली में सजाकर आस-पड़ोस और रिश्तेदारों में बांटे जाते हैं व उनसे लिए व दिए जाते हैं। अगले दिन धान के खेतों में गलगल फेंके जाते हैं व अगले वर्ष अच्छी फसल के लिए प्रार्थना भी की जाती हैं।

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दूल्हों को करना होगा इंतजार

यह त्योहार एक तरह से बरसात में बारिश के कारण एक-दूसरे से न मिल पाने के कारण मिलने का बहाना भी हो जाता है। जो विवाहिता महिलाएं काला महीना यानी भादो में मायके आई होती हैं वे भी इस दिन ससुराल लौट जाती हैं लेकिन इस दफा उन्हें भी एक महीना लंबी छुट्टी है। भवारना के ज्योतिष सुशील शर्मा के अनुसार अभी श्राद्ध हैं तो इन दिनों उनका ससुराल आना अशुभ माना जाता है। श्राद्धों के बाद ठीक एक महीना पुरुषोत्तम मास लगेगा और इस दौरान वह नहीं आ सकती हैं। नवरात्र में ही उनका ससुराल आना शुभ रहेगा।


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