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सत्संग ही श्रीहरि से मिलने का असली द्वार : अमृतलता

संवाद सहयोगी जसूर सत्संग ही श्रीहरि से मिलने का असली द्वार है और इसी द्वार में प्रवेश करने

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 01:46 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 01:46 AM (IST)
सत्संग ही श्रीहरि से मिलने का असली द्वार : अमृतलता
सत्संग ही श्रीहरि से मिलने का असली द्वार : अमृतलता

संवाद सहयोगी, जसूर : सत्संग ही श्रीहरि से मिलने का असली द्वार है और इसी द्वार में प्रवेश करने से सच्चिदानंद की प्राप्ति की जा सकती है। यह प्रवचन वैष्णव विरक्त मंडल के महंत अमृतलता दास देवाजी महाराज ने नूरपुर क्षेत्र के परगना गांव में आयोजित धार्मिक समागम के दौरान कहे। उन्होंने कहा कि नरदेह धारण कर जिस जीवात्मा के जीवन में सत्संग के प्रति प्रेम नहीं हुआ तो फिर उस जीव का मानव देह धारण करना ही व्यर्थ है।

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उन्होंने कहा कि जैसे तन के पोषण के लिए भोजन जरूरी है, उसी प्रकार आत्मा की शुद्धि के लिए भजन भी अति आवश्यक है। नित्य सत्संग में जाने से ही जीवात्मा विषय विकारों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए सतगुरु की शरण में शरणागत होना होगा। उन्होंने कहा कि आज संसार में सत्य को छोड़ कर मिथ्या के पीछे भागने की प्रतिस्पर्धा लगी हुई है। मायापति को पाने की बजाय माया के पीछे भागने की दौड़ लगी है और अंधी दौड़ के कारण हर जीव दुखी है, जबकि अंत में एक सुई तक तो साथ जाने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि चिता तो एक बार ही देह को जलाती है, लेकिन सांसारिक चिता जीव को पल पल जला रही है, इसलिए सांसारिक चिता को त्याग कर सच्चिदानंद का चिंतन करने से जीवन खिले हुए पुष्प की तरह बनेगा। अंतिम समय में यदि कुछ साथ जाएगा तो वह केवल भक्ति, सत्संग और सत्कर्म ही जीव के असली साथी होंगे। उन्होंने कहा कि अपने मन की चिता सांसारिक लोगों के समक्ष बखान करने की बजाय गुरुदेव की शरण में रखने से ही कल्याण संभव हो सकता है।


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