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मिठाई चखने के लिए मांग रही खोट की रिपोर्ट, 25 दिन बाद भी नहीं आई विभाग के सैंपल की रिपोर्ट

दीपावाली से पूर्व और उस दौरान लिए मिठाई व खाद्य पदार्थों के सैंपलों की जांच मात्र खानापूर्ति है। ये बात इससे साबित होती है कि जांच को लिए गए 40 सैंपल में से केवल छह की रिपोर्ट 25 दिन बाद आई है और सभी छह सैंपल पास आए हैं।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 06:45 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 08:02 AM (IST)
मिठाई चखने के लिए मांग रही खोट की रिपोर्ट, 25 दिन बाद भी नहीं आई विभाग के सैंपल की रिपोर्ट
मिठाई चखने के लिए मांग रही खोट की रिपोर्ट। जागरण आर्काइव

यादवेंद्र शर्मा, शिमला। दीपावाली से पूर्व और उस दौरान लिए मिठाई व खाद्य पदार्थों के सैंपलों की जांच मात्र खानापूर्ति है। ये बात इससे साबित होती है कि जांच को लिए गए 40 सैंपल में से केवल छह की रिपोर्ट 25 दिन बाद आई है और सभी छह सैंपल पास आए हैं। जो सैंपल पास पाए गए हैं, उनमें घी, गुड़, खोया, खोया बर्फी, चम्मच और कलाकंद शामिल हैं। अब सवाल ये है कि जिन दुकानों से ये सैंपल लिए उसका किसी को भी पता नहीं और अभी जिन मिठाई के 34 सैंपल की रिपोर्ट आनी है वो रिपोर्ट के आने तक अभी सवालों के घेरे में है। 20 से 25 दिन पूर्व लोग मिठाई खा चुके हैं और उसका असर भी उनके स्वास्थ्य पर पड़ चुका है। अब रिपोर्ट नेगेटिव भी आती है तो उसका क्या फायदा।

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त्योहारों के दौरान दिखावे के लिए धड़ाधड़ मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए जाते हैं और सबको लगता है कि विभाग हरकत में आ गया लेकिन जो मिठाई खराब थी और उन्हें मौके पर फेंका गया, वहीं वास्तव में काम हुआ। सैंपल लेना तो केवल अधिकारियों व कर्मचारियों की ऊर्जा को बर्बाद करना है। सैंपल लेने का तभी फायदा है जब उसकी रिपोर्ट तुंरत आए और रिपोर्ट के आधार पर सीजन के दौरान कार्रवाई हो। इससे अन्य दुकानदारों को भी डर पैदा होगा और मिलावटी मिठाई नहीं बेचेंगे।

खाद्य पदार्थ व मिठाई तभी बेची जा सकती जब स्वास्थ्य के लिए बेहतर

नियम ये कहते हैं कि खाद्य पदार्थ और मिठाई तभी बिकें जब उनकी जांच हो और स्वास्थ्य के लिए बेहतर पाई जाएं। बाद में जांच करवाने से न तो किसी को ये पता कि मिठाई कौन खा गया और उसका क्या असर हो गया।

15 अधिकतम समय सैंपल रिपोर्ट के लिए निर्धारित

नियमों के आधार पर मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थों जैसे दूध, पनीर आदि के सैंपल की रिपोर्ट के लिए अधिकतम 15 दिन निर्धारित हैं। इस निर्धारित अवधि में भी सैंपल की रिपोर्ट नहीं पहुंची है। जबकि त्योहारी सीजन के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा निदेशालय ने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के बाद भी रिपोर्ट नहीं आई। शराब हो या दवाएंं या मिठाई सभी की जांच के लिए केवल एक ही प्रदेश में कंडाघाट लैब है। इस लैब को एनएबीएल यानी राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड क्षरा मान्यता प्राप्त है। तेल आदि की जांच के पैमाने अधिक होते हैं और रिपोर्ट आने में समय लगता है। पूरे प्रदेश से कंडाघाट लैब की जांच को सैंपल भेजे जाते हैं।

दीपावाली से पूर्व और उस दौरान लिए गए करीब 40 सैंपल में से अभी छह की रिपोर्ट आई। ये सैंपल पास पाए गए हैं। अभी 34 सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आई है।

डा. विजया गौतम, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा।


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