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Rohingya Refugee: हिमाचल में घुसपैठ की आशंका, लेकिन नहीं है कोई रिकॉर्ड

Rohingya Refugee Crisis हिमाचल प्रदेश की खुफिया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है कि रोहिंग्या मजदूर के वेष में घुसपैठ कर सकते हैं। बाहर से आने वाले लोगों पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 01:31 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 01:31 PM (IST)
Rohingya Refugee: हिमाचल में घुसपैठ की आशंका, लेकिन नहीं है कोई रिकॉर्ड
खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि ये लोग मजदूर बनकर यहां डेरा डाल सकते हैं।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Rohingya Refugee Crisis हिमाचल प्रदेश में रोहिंग्याओं की घुसपैठ की आशंका है। सूत्रों के अनुसार पुलिस व खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट जारी कर बाहर से आने वालों व्यक्तियों पर पैनी नजर रखने का निर्देश दिया है। बावजूद इसके राज्य सरकार के पास फिलहाल रो¨हग्याओं की संख्या का कोई अंदाजा नहीं है और न ही अभी कोई सर्वे कराया गया है। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि ये लोग मजदूर बनकर यहां डेरा डाल सकते हैं। कोरोना संकट में हालात सामान्य होते ही ये लाभ उठाने की कोशिश कर सकते हैं। ठेकेदारों के साथ मजदूरों के रूप में इनके यहां आने के कुछ मामले सामने भी आए, लेकिन प्रशासन ने लीपापोती की।

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पिछले दिनों शिमला के ढली क्षेत्र में सहारनपुर से मजदूर आए थे। ये अपनी पहचान सही नहीं बता रहे थे। दैनिक जागरण ने उठाया था मामला: राजधानी शिमला में कचरा उठाने के बहाने आए रो¨हग्या का मामला एक साल पहले दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था और ‘शिमला का कचरा उठाएंगे रोहिंग्या’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद खुफिया एजेंसियां हरकत में आ गई थीं।विहिप का दावा, प्रदेश में मौजूद हैं रोहिंग्या: विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री नीरज दुनेरिया ने बताया कि रोहिंग्या भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं। विहिप के विशेष सह संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर के अनुसार रोहिंग्या की पहचान के लिए तलाशी अभियान चलाया जाए।

भाजपा के लोकसभा सदस्य व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने बताया कि रोहिंग्या देश के लिए खतरा बने हुए हैं। हिमाचल प्रदेश में भी इन पर निगरानी रखे जाने की जरूरत है। ये कहां-कहां हैं, प्रशासन को पता लगाना चाहिए।

हिमाचल के पुलिस विभाग की अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक डॉ. मोनिका ने बताया कि अन्य राज्यों से जो भी मजदूर आते हैं, उनका वेरिफिकेशन और थाने में पंजीकरण होता है। कोशिश की जाती है कि मजदूरों की आड़ में कोई संदिग्ध व्यक्ति या रोहिंग्या न आए। रोहिंग्या अगर संयुक्त राष्ट्र का कोई दस्तावेज दिखाएं तो इन्हें छोड़ दिया जाता है। हालांकि अभी कोई ताजा मामला संज्ञान में नहीं आया है।


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