समृद्ध संस्कृति को मिला आधार
अपनी समृद्ध संस्कृति को सात समंदर पार पहुंचाने में कलाकार कोरोना के इस दौर में भी एक-दूसरे से जुड़े हैं। वर्चुअल माध्यम से लेखकों कवियों साहित्यकारों के साथ बालपन से कल्पना के समंदर में शब्दों का मायाजाल बुनने वाले 5000 कलाकारों को कई देशों के कला प्रेमियों ने खूब सराहा।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। अपनी समृद्ध संस्कृति को सात समंदर पार पहुंचाने में कलाकार कोरोना के इस दौर में भी एक-दूसरे से जुड़े हैं। इस जुड़ाव की कड़ी बनी है हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी। वर्चुअल माध्यम से विख्यात लेखकों, कवियों, साहित्यकारों के साथ-साथ बालपन से कल्पना के समंदर में शब्दों का मायाजाल बुनने वाले करीब पांच हजार कलाकारों को अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाड़ा सहित विश्व के कई अन्य देशों के कला प्रेमियों ने खूब सराहा।
इन कलाकारों को मंच मिला और इन्होंने स्वयं को भाग्यशाली समझा। इंटरनेट में ऐसी धमक पहुंची की सात करोड़ दर्शकों की दर्शक दीर्घा से हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी को 100 डालर आमदनी होने की उम्मीद बंधी है। इसके लिए फेसबुक, यूट्यूब कंपनियों की ओर से दस्तावेज मांगें जा रहे हैं।
कोरोनाकाल के दौरान अकादमी की ओर से 24 मई, 2020 से लगातार प्रतिदिन शाम सात बजे एक घंटे का साहित्य कला संवाद कार्यक्रम पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में लेखक, साहित्यकार, कलाकार, रंगकर्मी लोक गायक और संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान रखने वाले विशेषज्ञ जनों के साक्षात्कार, बातचीत और रचना पाठ के अब तक 700 कार्यक्रम प्रसारित किए जा चुके हैं, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। यह सारे वीडियो अकादमी की फेसबुक तथा यूट््यूब चैनल पर उपलब्ध हैं, जो मोनेटाइज हो चुके हैं। इस कार्यक्रम के बहाने प्रदेश में साहित्य कला संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने वाले व्यक्तियों का डाक्यूमेंटेशन भी संभव हो सका है।
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की स्थापना 1971 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के एक प्रस्ताव की स्वीकृति पर हुई। अकादमी का उद्घाटन दो अक्टूबर 1972 को हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. यशवंत ङ्क्षसह परमार ने किया गया। अकादमी की परियोजनाओं से कला संस्कृति भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में लेखकों व कलाकारों को प्रोत्साहन एवं सम्मान प्रदान किया जा रहा है। एचपीएलएसी एकेडमी फेसबुक और साहित्य कला संवाद यूट्यूब मोनेटाइज चैनल पर साहित्य कला संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत लगभग 800 वीडियोस अपलोड किए जा चुके हैं, जिन्हें प्रतिदिन के लाइव कार्यक्रम के माध्यम से तैयार किया गया है।
साहित्यिक सेमिनारों का आयोजन
साहित्य के क्षेत्र में डा. यशवंत ङ्क्षसह परमार, स्वतंत्रता सेनानी पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम, प्रख्यात इतिहासविद् ठाकुर राम सिंह, संस्कृति के पुरोधा लाल चंद प्रार्थी, रंगकर्मी मनोहर सिंह, संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा राज्यस्तरीय जयंती समारोह के अवसर पर साहित्यिक सेमिनार, काव्य पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन वर्षों में विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में जहां पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, वही लेखक मंच के माध्यम से हिमाचल के लेखकों की पुस्तकों का लोकार्पण, परिसंवाद, काव्य पाठ, पुस्तक समीक्षा कथा राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किए गए।
संस्कृत, पहाड़ी व हिंदी में प्रकाशन
अकादमी द्वारा संस्कृत भाषा में अर्धवार्षिक पत्रिका श्यामला, पहाड़ी भाषा में अर्धवार्षिक पत्रिका हिम भारती और हिंदी भाषा में सोमसी पत्रिका का त्रैमासिक प्रकाशन किया जा रहा है। इसमें सभी लेखकों को उनकी रचनाओं के प्रकाशन के लिए अवसर मिलता है। इन पत्रिकाओं के समय-समय पर विशेषांक भी प्रकाशित होते रहे हैं ।
200 पुस्तकों का प्रकाशन
प्रदेश की पारंपरिक और समकालीन कला संस्कृति भाषा साहित्य के प्रोत्साहन के लिए विभिन्न लेखकों द्वारा रचित पुस्तकों तथा संपादित संकलनों का प्रकाशन करते हुए अब तक अकादमी द्वारा अब तक लगभग 200 पुस्तकों का सफल प्रकाशन किया जा चुका है।
शिखर व ललित कला सम्मान
अकादमी द्वारा लेखकों कलाकारों के प्रोत्साहन तथा सम्मान के लिए पुरस्कार एवं सम्मान योजना में वर्तमान में एक लाख के तीन शिखर सम्मान कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रतिवर्ष प्रदान किए जा रहे हैं। कला समान के अंतर्गत ललित कला और निष्पादन कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए 51 हजार के दो समान हर साल दिए जा रहे हैं।
सात पुरस्कार
साहित्य पुरस्कार के तहत हिंदी साहित्य की कविता, कहानी एवं उपन्यास और विविध विधाओं में तीन तथा पहाड़ी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं में कुल सात पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान की जा रहे हैं। अब तक 2018 तक के पुरस्कार घोषित हो चुके हैं तथा 2019 और 20 के पुरस्कार प्रक्रिया अधीन हैं। इस वर्ष ललित कला और निष्पादन कला के क्षेत्र में पच्चीस हजार के दो युवा पुरस्कार प्रारंभ किए गए हैं। पारंपरिक चंबा रुमाल और पहाड़ी चित्रकला में में शिल्पी एवं चित्रकारों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिवर्ष 15000 का प्रथम, 7000 का द्वितीय और 5000 का तृतीय पुरस्कार प्रदान किया जाता है।