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पुलिस जवानों के हक के लिए स्वजन निकालेंगे आक्रोश रैली, डीजीपी कार्यालय से मांगी अनुमति

2013 के बाद भर्ती हुए पुलिस जवानों (कांस्टेबल) को संशोधित वेतनमान का लाभ न मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। अब इनके परिवारवालों ने आक्रोश रैली निकालने की अनुमति मांगी है। इस संबंध में स्वजन की ओर से डीजीपी कार्यालय को ई-मेल की गई है।

By Virender KumarEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 05:16 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 05:16 PM (IST)
पुलिस जवानों के हक के लिए स्वजन निकालेंगे आक्रोश रैली, डीजीपी कार्यालय से मांगी अनुमति
पुलिस जवानों के हक के लिए स्वजन आक्रोश रैली निकालेंगे। जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य ब्यूरो। 2013 के बाद भर्ती हुए पुलिस जवानों (कांस्टेबल) को संशोधित वेतनमान का लाभ न मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। अब इनके परिवारवालों ने आक्रोश रैली निकालने की अनुमति मांगी है।

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इस संबंध में स्वजन की ओर से डीजीपी कार्यालय को ई-मेल की गई है। इसमें चार दिसंबर को आक्रोश रैली निकालने की बात कही गई है। दावा जताया है कि अगर सरकार ने मामला नहीं सुलझाया तो वे आमरण अनशन करेंगे। इसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार चार साल से केस का परीक्षण ही कर रही है।

ई-मेल के अनुसार 2015, 2016, 2018, 2019 बैच के कांस्टेबलों ने सरकारी मेस में भोजन त्याग दिया है। ऐसा रोषस्वरूप किया गया है। पुलिस कर्मी आंदोलन नहीं कर सकते, इसलिए अब मोर्चा स्वजन संभालेंगे, क्योंकि पुलिस इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर पाएगी।

शर्तों को सभी ने किया है स्वीकार

पुलिस कर्मचारियों के स्वजन ने कहा कि भर्ती की शर्तों को अनुबंध कर्मियों ने भी स्वीकार किया था। फिर सरकार ने अनुबंध कार्यकाल तीन से दो वर्ष कर दिया। उन्होंने पुलिस कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि शर्तेें क्या पुलिस कांस्टेबल पर ही लागू होती हैं? स्वजन ने इंटरनेट मीडिया में भी इनके हितों की आवाज उठाने की बात कही है। ये उठा भी रहे हैं।

अफसर भी नाराज

जिस तरीके से पुलिस कर्मी मुख्यमंत्री के आवास पर जुटे थे, उससे कुछ अफसर भी नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी पुलिस जवानों को फिर से एक साथ न जुटने की सलाह दी थी, जबकि स्वजन का तर्क है कि पुलिस जवानों को सरकार ने ही बुलाया था। उन्होंनेे अनुशासन नहीं तोड़ा। किसी भी प्रकार की नारेबाजी नहीं की। बावजूद इसके इन्हें धमकाया जा रहा है।

सरकार को मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान करना चाहिए। अगर मामला ज्यादा लंबा खींचा तो इससे सरकार की छवि खराब होगी। पुलिस बल अनुशासन में रहकर ही अपनी बात कहता है। संघ ने पहले भी कई मामलों में कानूनी जंग लड़ी है, अब भी लडऩे से पीछे नहीं हटेगा।

-रमेश चौहान, राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय पुलिस कल्याण महासंघ


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