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मार्केटिंग छोड़ चुनी आत्‍मनिर्भरता की राह, राकेश ने मुख्‍यमंत्री स्‍टार्टअप योजना से शुरू किया कारोबार

Self Dependent पालमपुर के राकेश कुमार ने कांगड़ा चाय में संभावनाओं को देखते हुए न केवल खुद को स्वरोजगार से जोड़ा है बल्कि छह अन्य युवाओं को भी रोजगार दे रहे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 10:50 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 11:11 AM (IST)
मार्केटिंग छोड़ चुनी आत्‍मनिर्भरता की राह, राकेश ने मुख्‍यमंत्री स्‍टार्टअप योजना से शुरू किया कारोबार
मार्केटिंग छोड़ चुनी आत्‍मनिर्भरता की राह, राकेश ने मुख्‍यमंत्री स्‍टार्टअप योजना से शुरू किया कारोबार

पालमपुर, शारदाआनंद गौतम। देश सहित प्रदेश में कोरोना संकट के दौरान कई लोगों का रोजगार जा रहा है। लेकिन कई लोग इससे घबरा कर नहीं, बल्कि सबक लेकर आगे बढ़ रहे हैं। जिला कांगड़ा के उपमंडल पालमपुर के ग्वालटिक्कर गांव के युवा राकेश कुमार ने कांगड़ा चाय में संभावनाओं को देखते हुए न केवल खुद को स्वरोजगार से जोड़ा है, बल्कि छह अन्य युवाओं को भी रोजगार दे रहे हैं। वह चाय की मार्केटिंग की नौकरी छोड़ खुद की चाय तैयार कर रहे हैं। राकेश हालांकि कांगड़ा चाय पर तीन साल से काम कर रहे हैं, लेकिन कोरोना संकट के दौरान जून में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से उनका 28 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हुआ है।

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इसके अलावा उद्योग विभाग ने नगरी में 3200 स्क्वेयर फीट का प्लॉट स्वीकृत कर दिया है। अब वह यहां पर चाय की फैक्ट्री लगाएंगे। राकेश पहले दूसरों से चाय खरीद कर बेचते थे, लेकिन अब वह खुद के बगीचे में चाय तैयार कर बेचेंगे। अब राकेश बड़े स्तर पर न केवल कांगड़ा चाय के स्वाद को लोगों तक पहुंचाएंगे, बल्कि साबुन और क्रीम भी बनाएंगे।

राकेश बताते हैं कि हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर में उन्होंने प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। यहां पर उन्होंने कांगड़ा चाय की बारीकियों को जाना है। राकेश ने छह अन्य युवाओं के साथ तीन साल पूर्व कांगड़ा चाय के विभिन्न उत्पादों को तैयार करना आरंभ किया था। इसमें प्रमुख तौर पर तुलसी, अदरक, नींबू व पुदीना आदि को मिलाकर चाय को बाजार में उतारा है। कांगड़ा चाय के साथ ही शहतूत, भांबरी व बिच्छू बूटी की चाय को भी तैयार किया। जब इसे बाजार में कांगड़ा चाय के साथ उतारा तो उसे व्यापक सफलता मिली। हालांकि इसकी ज्यादा मांग प्रदेश में न होकर देश के अन्य हिस्सों से रही है। इस चाय को वह मनाली और मैक्लोडगंज में उपलब्ध करवाते हैं।

यह है चाय की कीमत

ऑर्गेनिक कांगड़ा चाय 1150 और शहतूत व बिच्छू बूटी की चाय 2500 रुपये प्रति किलो की दर से राकेश उपलब्ध करवाते हैं। राकेश सौ-सौ ग्राम की पैङ्क्षकग में भी चाय लोगों तक पहुंचाते हैं। यह चाय कैफीन फ्री होने के साथ एंटी ऑक्सीडेंट भी है। अभी सीजन के दौरान मनाली में करीब पचास किलो बिच्छू बूटी चाय को भेजा है। इतना ही नहीं, महाराष्ट्र में डेढ़ क्विंटल शहतूत की चाय भेजी है। पालमपुर में ब्ल्यू हिल कैफे और जिला मंडी के घट्टा स्थित पिकनिक स्पॉट कैफे में राकेश ने उत्पादों को रखा है।

नगरी में लीज पर लिया प्लॉट

पहले राकेश चाय की मार्केटिंग करते थे लेकिन फिर उन्होंने खुद चाय को तैयार करने के लिए बगीचे को लीज पर लिया। अब विभिन्न प्रकार की चाय को तैयार कर रहे हैं। राकेश को 28 लाख रुपये का ऋण मिला है और उसके साथ 3200 वर्ग क्षेत्र भी लीज पर मिला है। इसके बाद उन्होंने चार और लोगों को रोजगार देने की ठानी है। राकेश छह लोगों को महीने का 50 हजार रुपये मेहनताना दे रहे हैं। वह मार्केटिंग की नौकरी से 21 हजार रुपये महीना कमा लेते थे।


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