कर्मचारी वर्ग के सरकार के खिलाफ बयानबाजी पर प्रतिबंध लगाने का विरोध शुरू, पढ़ें खबर
Protest Against Govt केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करने और मीडिया में बयानबाजी देने को लेकर लगाई गई रोक का विरोध शुरू हो गया है। सीटू की राज्य कमेटी ने सरकार के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है।
शिमला, जागरण संवाददाता। Protest Against Govt, केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करने और मीडिया में बयानबाजी देने को लेकर लगाई गई रोक का विरोध शुरू हो गया है। सीटू की राज्य कमेटी ने सरकार के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है। सीटू ने कहा सरकार का यह निर्णय पूर्णत: तनाशाहीपूर्वक है और संविधान व लोकतंत्र विरोधी है। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि प्रदेश सरकार की यह अधिसूचना कर्मचारी विरोधी है व कर्मचारी आंदोलन को दबाने की साजिश है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंन सभी ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी यूनियनों से आह्वान किया है कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ एकजुट हों व इसका कड़ा विरोध करें।
उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस आदेश को तुरंत वापिस लिया जाए अन्यथा कर्मचारी व ट्रेड यूनियनें इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने को बेबस होंगे। उन्होंने कहा कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद-19 का खुला उल्लंघन है जो किसी भी व्यक्ति को अपनी यूनियन बनाने, भाषण देने, अपनी बात उठाने व बोलने की आजादी देता है व इस तरह के किसी भी तरह के प्रतिबंध के खिलाफ है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है जो हर व्यक्ति को गरिमामयी जीवन जीने का अधिकार देता है व लोकतांत्रिक अधिकार देता है।
यह संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है जोकि हर व्यक्ति को राजनीतिक,आर्थिक व सामाजिक समानता का अधिकार देता है। उन्होंने कहा है कि यह भारत में सन 1926 में बने ट्रेड यूनियन एक्ट का घोर उल्लंघन है जो हर मजदूर व कर्मचारी को अपनी यूनियन बनाने, अपनी मांग को उठाने, सरकार से अपनी आर्थिक मांगों को रखने व सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों पर बात रखने का अधिकार देता है।