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निजी स्कूलों में आरटीई के तहत कितने बच्चों को दिया दाखिला, रिकार्ड तलब, जानिए क्‍या का प्रविधान

Himachal School News शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्ग के बच्चों को दाखिला न देने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई होगी। बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों में आरटीई के तहत छात्रों के दाखिले का रिकार्ड तलब किया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 05:12 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 05:12 PM (IST)
निजी स्कूलों में आरटीई के तहत कितने बच्चों को दिया दाखिला, रिकार्ड तलब, जानिए क्‍या का प्रविधान
आरटीई के तहत कमजोर और उपेक्षित वर्ग के बच्चों को दाखिला न देने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई होगी।

शिमला, जागरण संवाददाता। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्ग के बच्चों को दाखिला न देने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई होगी। बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों में आरटीई के तहत छात्रों के दाखिले का रिकार्ड तलब किया है। आयोग की ओर से इस संबंध में निदेशक प्रारंभिक शिक्षा विभाग डॉ. पंकज ललित को पत्र भेजा गया है। इसमें 4 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। इसमें पूछा है कि हिमाचल में हिमाचल में कितने निजी स्कूल चल रहे है। आरटीई यानि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत कितने निजी स्कूलों ने 25 फीसद सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर और उपेक्षित वर्ग के बच्चों को दाखिला दिया है। मौजूदा समय में कितने बच्चें निजी स्कूलों में योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। आयोग से आए इस पत्र के बाद विभाग ने सभी जिलों के उप शिक्षा निदेशकों को आगे निर्देश जारी कर इसका पूरा रिकार्ड तैयार कर निदेशालय भेजने को कहा है। प्रदेश में 2753 निजी स्कूल हैं।

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क्या है नियम

शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानि आरटीई के तहत निजी स्कूलों के लिए कुल दाखिल बच्चों में से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 25 फीसदी दाखिला देना जरूरी किया गया है। यह दाखिला बीपीएल परिवारों से संबंधित या विकलांगता से युक्त बच्चों को देना होता है। एससी, एसटी परिवारों के बच्चों को भी प्राथमिकता दी जाती है। हिमाचल में आरटीई एक्ट 2010 में लागू हुआ था। इस पर नियम सपष्ट नहीं थे। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में इसके लिए नियम बनाए गए थे। इसके लिए बच्चे के घर से स्कूल की दूरी सुनिश्चित की गई थी। नियमों के तहत निजी स्कूल बच्चों को दाखिला देते थे और इस का खर्च राज्य सरकार वहन करती है। आरटीई के तहत ऐसा करने की व्यवस्था लागू करने के निर्देश पहले से ही हैं, मगर अब इसे सरकार सख्ती से लागू कर रही है।


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