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प्राथमिक विद्यालय को तो घर में चलवा दिया, कम से कम स्‍कूल के लिए अध्‍यापक‍ तो मुहैया करवाओ सरकार

सरकार स्कूलों में विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए चाहे लाख कोशिशों के दावे करे मुफ़्त वर्दी के बाद अब मुफ्त स्कूल बैग बच्चों को दिया जाना है लेकिन यह समझना बहुत कठिन है कि जिन स्कूलों को खुले हुए पांच पांच साल बीत गए वहां अध्‍यापक क्‍यों नहीं।

By Richa RanaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 02:01 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 02:01 PM (IST)
प्राथमिक विद्यालय को तो घर में चलवा दिया, कम से कम स्‍कूल के लिए अध्‍यापक‍ तो मुहैया करवाओ सरकार
प्राथमिक विद्यालय जसेड़ में अध्‍यापक न होने से विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए चाहे लाख कोशिशों के दावे करे मुफ़्त वर्दी के बाद अब मुफ्त स्कूल बैग बच्चों को दिया जाना है। लेकिन यह समझना बहुत कठिन है कि जिन स्कूलों को खुले हुए पांच पांच साल बीत गए वहां पर बच्चों की पढ़ाई के लिए न तो अध्यापक हैं न ही स्कूल भवन वहां पढ़ाई कैसे होगी।

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हम बात कर रहे हैं सूबे के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के शिक्षा खंड खुंडिया के जसेड़ प्राथमिक विद्यालय की। ग्राम पंचायत अलुहा में पड़ते इस स्कूल में गांव के 27 बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। लेकिन बिडंबना है कि स्कूल के पास न तो कोई अध्यापक है ना ही विद्यार्थियों को बैठने के लिए स्कूल भवन। हैरानी है कि साल 2017 में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने यहां स्कूल तो खोल दिया। लेकिन पांच साल बाद भी अभी तक इस स्कूल के लिए अध्यापकों की नियुक्ति नहीं हुई है। अधिकारी नजदीकी सेंटर स्कूल से इस विद्यालय के लिए अध्यापक की व्यवस्था करके जैसे तैसे स्कूल के दरवाजे खुले रखे हुए हैं ताकि सरकार की नाक कटने से बच जाए अन्यथा इस स्कूल में कब से ताला लटक गया होता।

जसेड़ प्राइमरी स्कूल के पास बच्चों को बैठाने के लिए स्कूल भवन भी नहीं

इसे शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा कहें या सरकारी तंत्र की नाकामी पांच साल पहले खुले स्कूल के पास बच्चों को बैठाने के लिए एक क्लासरूम तक नहीं है। यह स्कूल एक ग्रामीण द्वारा दिए गए घर में चल रहा है। यह कहकर घर स्कूल चलाने के लिए दिया गया है कि भवन की व्यवस्था तक उक्त घर से कक्षाएं चलाईं जायें। लेकिन पांच बर्ष बाद भी स्कूल अपना भवन नहीं बना पाया है।

पांच कक्षाओं के 27 बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रतिनियुक्ति पर आते हैं अध्यापक

जसेड प्राथमिक विद्यालय के लिए सरकार ने कभी भी सीधे तौर पर किसी अध्यापक को नियुक्ति नहीं दी है।यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए एक अध्यापक शिक्षा खंड खुंडिया ने दूसरे स्कूल से लगा रखा है। जहां वहीं अध्यापक स्कूल की सारी व्यवस्थाएं देख रहा है। एक अध्यापक के छुट्टी पर होने के चलते दूसरे अध्यापक को प्रतिनियुक्ति पर भेजकर स्कूल चलाया जाता है।

यह बोले प्राथमिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक महिंद्र सिंह

प्राथमिक पाठशाला जसेड में स्कूल भवन ना होना चिंताजनक है। इस संबंध में शिक्षा खंड खुंडिया से रिपोर्ट मांगी जाएगी। जहां तक अध्यापकों की बात है यह सरकार का विषय है। हमनें जिन स्कूलों में कोई अध्यापक नहीं है कि जानकारी शिक्षा मंत्रालय को भेज रखी है।

यह बोली अलूहा पंचायत की प्रधान रीता देवी

स्कूल भवन ना बन पाने के पीछे बजट की कमी को कारण माना जा रहा है। ग्राम पंचायत अलुहा की प्रधान रीता देवी ने बताया कि कुछ समय पहले स्कूल भवन के लिए 6 लाख स्वीकृत हुए हैं। लेकिन जहां पर यह बनना है वहां के लिए माल ढुलाई में ही दो लाख के करीब खर्च हो जाएगा। ऐसे में इतनी कम राशि से स्कूल नहीं बन सकता। पँचायत शिक्षा विभाग समेत उपायुक्त कांगड़ा से स्कूल भवन को लेकर जल्दी ही मिलेगा ताकि बच्चों की पढ़ाई घर से निकलकर स्कूल में हो सके।


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