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48 साल से पुनर्वास की राह ताक रहे पौंग बांध विस्थापित उतरे सड़क पर, सरकार को दी यह चेतावनी

पौंग बांध युवा शक्ति संघर्ष समिति ने पुनर्वास को लेकर प्रदेश व राजस्थान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 03:28 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 03:28 PM (IST)
48 साल से पुनर्वास की राह ताक रहे पौंग बांध विस्थापित उतरे सड़क पर, सरकार को दी यह चेतावनी
48 साल से पुनर्वास की राह ताक रहे पौंग बांध विस्थापित उतरे सड़क पर, सरकार को दी यह चेतावनी

नगरोटा सूरियां, जेएनएन। पौंग बांध युवा शक्ति संघर्ष समिति ने पुनर्वास को लेकर प्रदेश व राजस्थान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सोमवार को संघर्ष समिति के संयोजक अजय के नेतृत्व में पौंग बांध के युवा विस्थापितों ने नगरोटा सूरियां ने रोष रैली निकालकर चेतावनी दी कि यदि राजस्थान में आरक्षित भूमि आबंटित नहीं करती तो प्रदेश स्तर पर एक बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। अजय ने रोष रैली को संबोधित करते हुए कहा प्रदेश सरकार 48 सालों में पौंग विस्थापितों का पुनर्वास नहीं कर पाई है और न ही राजस्थान में विस्थापितों के लिए आरक्षित 2.20 लाख एकड़ भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अनुसार भूमि आबंटित कर पाई है।

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विस्थापितों ने दो टूक शब्दों में कहा उन्हें राजस्थान में प्रथम फेज में आरक्षित भूमि के अलावा दूसरी किसी भी जगह भी भूमि आबंटन मंजूर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दूसरे चरण में जो भूमि आबंटित की जा रही है वो पाकिस्तान सीमा से सटी हुई है और उसमें कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं है। विस्थापित रामस्वरूप ने कहा राज्य पुनर्गठन से पहले पौंग डैम बनने से विस्थापित हुए 16 हज़ार से भी ज्यादा परिवारों के पुनर्वास के लिए एक समझौते के तहत पौंग बांध से राजस्थान की भूमि को सिंचाई पानी देने के बदले श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ व जैतसर फॉर्म में 2.20 लाख एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षित भूमि पर राजस्थान के स्थानीय निवासियों  ने अबैध कब्जे कर लिए हैं और राजस्थान सरकार जानबूझ कर अबैध कब्जों को नहीं हटा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार  से सवाल किया है कि विस्थापितों के पुनर्वास के लिए क्यों देरी की जा रही है और किस दवाब में आकर प्रदेश सरकार राजस्थान में आरक्षित भूमि पर पुनर्वास नही करवा पा रही है। युवा विस्थापितों ने फैसला लिया कि सरकार  48 सालों से  पुनर्वास का दंश झेल रहे विस्थापितों को 48 सैलून का मुआवजा दिया जाए और राजस्थान में आरक्षित 2.20 लाख एकड़ भूमि पर पुनर्वास करवाया जाए। चेतावनी दी कि यदि प्रदेश सरकार विस्थापितों के लिए राजस्थान में आरक्षित भूमि पर पुनर्वास नहीं करवाती है तो प्रदेश स्तर पर एक बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।


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