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2022 से पहले संगठनात्मक सर्जरी की तैयारी में राजनीतिक दल

विधानसभा चुनाव 2022 की जंग के लिए प्रदेश में दोनों बड़े राजनीतिक दलों की संगठनात्मक सर्जरी की चर्चा तेज होती जा रही है। प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थकों का एकजुट होना साफ संकेत है कि वे संगठन में कुछ बदलाव के लिए कमर कस रहे हैं।

By Vijay BhushanEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 11:49 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 11:49 PM (IST)
2022 से पहले संगठनात्मक सर्जरी की तैयारी में राजनीतिक दल
2022 से पहले भाजपा व कांग्रेस संगठन में होगा बदलाव। जागरण आर्काइव

शिमला, जागरण संवाददाता। विधानसभा चुनाव 2022 की जंग के लिए प्रदेश में दोनों बड़े राजनीतिक दलों की संगठनात्मक सर्जरी की चर्चा तेज होती जा रही है। प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थकों का एकजुट होना साफ संकेत है कि वे संगठन में कुछ बदलाव के लिए कमर कस रहे हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दिल्ली दौरे से सियासी हलचल तेज हो गई है।

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भाजपा और कांग्रेस में उपचुनाव की तैयारी से लेकर 2022 के लिए कसरत हो रही है। ऐसे में बड़ी सर्जरी करने की तैयारी है। इसका लाभ किसे मिलेगा, यह तो 2022 के चुनाव परिणाम के बाद ही साफ होगा, लेकिन यह तो कम से कम तय है कि फिलहाल संगठन में बदलाव कर अपनों को मजबूती देने के लिए दोनों ही राजनीतिक दलों में लाङ्क्षबग तेज हो गई है। कांग्रेस में वीरभद्र समर्थक धड़ा ऊना, शिमला के बाद सोलन में बैठक कर चुका है। सोलन में हुई बैठक में सिरमौर के सभी नेता मौजूद रहे, लेकिन हर्षवर्धन चौहान इस बैठक में नहीं दिखे। दूसरी तरफ बैठक के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें नई जिम्मेदारी भी सौंप दी है। अब इसे यह मानें की बैठक में शामिल न होने पर यह जिम्मेदारी मिली है या किसी अन्य कारण से। कांग्रेस का वीरभद्र समर्थक धड़ा पूरी तरह से सक्रिय है, सुधीर शर्मा शिमला तक सक्रियता दिखा रहे हैं, हालांकि संगठन में ज्यादा नहीं दिख रहे हैं। वहीं, भाजपा में अभी तक बाहरी तौर पर तो सब कुछ शांत ही चल रहा था। धवाला के मंडल में अध्यक्ष की तैनाती के बावजूद ज्वालामुखी बाहरी तौर पर शांत है, अंदरूनी तौर पर जितनी ज्वाला ज्वालामुखी में है, उतनी भले ही न हो, लेकिन कम से कम भाजपा के एक धड़े में ज्वाला साफ दिख रही है। चंडीगढ़ की बैठक में विधायकों की रिपोर्ट न आने के मामले से लेकर सोलन व पालमपुर नगर निगम के चुनाव पर चर्चा हुई। दिग्गज नेताओं के होते हुए नगर निगम चुनाव के परिणाम पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे। इस पर पार्टी हाइकमान की नजर है।

प्रदेश में होने हैं तीन उपचुनाव

प्रदेश में आने वाले महीनों में तीन उपचुनाव होने हैं। इनमें एक लोकसभा सीट है, इसमें 17 चुनावी हलके हैं। दो विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव है। इनमें एक सबसे बड़े जिला कांगड़ा में है, जो राजनीतिक तौर पर सबसे बड़ी अहमियत रखता है। वहीं, तीसरी सीट कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले शिमला में है। दोनों ही राजनीतिक दल इन उपचुनाव में किसी तरह की कोई ढील सहन करने के मूड में नहीं हैं, इसलिए 2022 से पहले इसे सेमीफाइनल की तरह लिया जा रहा है।


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