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जहरीली शराब प्रकरण : घटने की बजाय बढ़ गया शराब का इस्तेमाल, देसी में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी

Desi Wine Consumption Increased मंडी में हुए जहरीली शराब प्रकरण से पूरे प्रदेश में विभागीय कार्रवाई से शराब तस्करों में खौफ बना हुआ है। इस कार्रवाई के चलते कुछ स्थानों पर अवैध शराब की बिक्री कम हुई है तो कुछ पर अभी भी इसका कोई असर नहीं हुआ है।

By Virender KumarEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 06:27 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 08:10 AM (IST)
जहरीली शराब प्रकरण : घटने की बजाय बढ़ गया शराब का इस्तेमाल, देसी में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी
घटने की बजाय बढ़ गया शराब का इस्तेमाल। जागरण आर्काइव

गगरेट, अविनाश विद्रोही। Desi Liquor Consumption Increased, मंडी में हुए जहरीली शराब प्रकरण से पूरे प्रदेश में विभागीय कार्रवाई से शराब तस्करों में खौफ बना हुआ है। इस कार्रवाई के चलते कुछ स्थानों पर अवैध शराब की बिक्री कम हुई है तो कुछ पर अभी भी इसका कोई असर नहीं हुआ है। जिस क्षेत्र में मिनी ठेकों पर अवैध रूप से शराब की बिक्री होती है उन स्थानों पर शराब के ठेकों पर इसका सीधा असर होता है। अनेक ऐसे मामलों में शराब के ठेकेदार भी अवैध शराब बिक्री की सूचना पुलिस को देते हैं। जब से जहरीली शराब कांड हुआ है तब से लगातार पुलिस की सख्ती होने के कारण शराब की अवैध रूप से बिक्री पूरी तरह तो समाप्त नहीं हुई है लेकिन मिनी ठेकों में बिक्री कम हो रही है, उसका सीधा असर शराब के ठेकों में होने वाली शराब पर आया है। ऊना वाइन एसोसिएशन के अनुसार देसी शराब की बिक्री में 25 प्रतिशत से ज्यादा तक का उछाल कुछ ठेकों पर आया है और जबकि कुछ ठेकों में किसी भी तरह का कोई बदलाब नहीं आया है। देसी के अलावा अंग्रेजी शराब में भी इसका असर हुआ है। अब इसकी बिक्री भी 15 प्रतिशत तक बढ़ी है।

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आबकारी नियम के कारण जिला में एक ही शराब के दाम अलग -अलग

शराब बिक्री को लेकर हिमाचल प्रदेश में एमएसपी और एमआरपी का कानून शराब की बिक्री में अलग-अलग दाम तय करने की छूट देता है, जिस कारण शराब के दाम अलग-अलग हैैं। एमएसपी यानी मिनिमम सेल प्राइज यानी इस दाम से कम नहीं बेचनी है और एमआरपी यानी अंकित मूल्य से अधिक नहीं बेची जा सकती। देसी शराब में यह लचीलापन 50 रुपये तक है जबकि अंग्रेजी शराब में 100 रुपये तक है जिसका असर सीधा शराब के दाम पर पड़ता है। इसके इलावा देसी शराब की पेटी 2300 रुपये के करीब शराब ठेकेदारों को सभी टैक्स मिलाकर मिलती है। बाजार में यही पेटी 1700 रुपये तक में शराब के कारोबारी बेच देते हैं ताकि उनका कोटा लेप्स न हो और उन्हें घाटा न हो।

देसी और अंग्रेजी शराब की बिक्री में उछाल आया है। यदि पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग इसी तरह सख्ती रखे तो प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग को भी लाभ होगा और शराब कारोबारियों को भी। -नरदीप सिंह, अध्यक्ष ऊना वाइन एसोसिएशन


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