Move to Jagran APP

हिमाचल में ब्रोंकोस्कोपी से पहले मरीजों को करवाना होगा आरटीपीसीआर टेस्ट, पढ़ें पूरा मामला

RTPCR Test IN Himachal Hospital आइजीएमसी शिमला मेें ब्रोंकोस्कोपी करवाने से पहले मरीजों को कोरोना का आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना होगा। प्लमोनेरी यानि सांस रोग विभाग ने संक्रमण से बचाव के प्रति एहतिहात के चलते यह फैसला लिया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 06:21 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 07:34 AM (IST)
हिमाचल में ब्रोंकोस्कोपी से पहले मरीजों को करवाना होगा आरटीपीसीआर टेस्ट, पढ़ें पूरा मामला
आइजीएमसी शिमला मेें ब्रोंकोस्कोपी करवाने से पहले मरीजों को कोरोना का आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना होगा।

शिमला, जागरण संवाददाता। आइजीएमसी शिमला मेें ब्रोंकोस्कोपी करवाने से पहले मरीजों को कोरोना का आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना होगा। प्लमोनेरी यानि सांस रोग विभाग ने संक्रमण से बचाव के प्रति एहतिहात के चलते यह फैसला लिया है। अस्पताल के सांस रोग विभाग में चैकअप करवाने पहुंचने वाले लोगों को गंभीर लक्षणों के चलते कई बार ब्रोंकोस्कोपी करने की सलाह दी जाती है। वहीं अस्पताल में मरीजों की संख्या बढऩे के चलते मरीजों को विभाग की ओर से 8 से 10 दिनों के बाद की डेट दी जाती है। इस अंतराल में मरीज को आरटीपीसीआर की रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा जाता है।

loksabha election banner

ब्रोंकोस्कोपी जांच विशेषज्ञ डॉक्टर और उनके एक सहायक के द्वारा की जाती है। इस जांच के दौरान मरीज के ब्लड प्रेशर और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की भी जांच होती है । इसके अलावा जांच से पहले और बाद में चेस्ट एक्स-रे भी किया जाता है। टिश्यू सैंम्पल की जांच से फेंफड़ों में संक्रमण टीबी या फेंफड़ों के कैंसर का पता लग पाता है।  पल्मोनोलॉजिस्ट (सांस रोग विशेषज्ञ)  डॉक्टर संजीव प्रभाकर का कहना है कि मरीज और अस्पताल स्टाफ के स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता बरतते हुए टेस्ट करवाने को कहा जाता है

कैसे होती है ब्रोंकोस्कोपी

ब्रोंकोस्कोपी फेफड़ों की जांच करने का एक आसान परीक्षण है। इस प्रक्रिया में एक छोटी ट््यूब नाक या मुंह द्वारा आपके फेफड़ों में डाली जाती है। यह परीक्षण फेफड़ों की बीमारी की जांच करने या बलगम हटाने के लिए किया जाता है। इसमें टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा निकालकर उसकी प्रयोगशाला में जांच की जाती है।  ब्रोंकोस्कोपी होने में कम से कम 30 से 60 मिनट तक का समय लगता है।  सांस नली की समस्याएं जैसे सांस लेने में तकलीफ या पुरानी पड़ चुकी खांसी का पता लगाने के लिए भी ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.