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कोरोना ने रोकी माता-पिता की राह तो सरकाघाट के दंपती ने किया कन्यादान, उत्‍तर प्रदेश में फंसा है परिवार

Corona Effects सरकाघाट उपमंडल के रीसा गांव के बीरी दत्त व उनकी पत्नी भावना ने उत्तर प्रदेश की लड़की का कन्यादान कर इस डोर को और मजबूत किया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 03:07 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 03:07 PM (IST)
कोरोना ने रोकी माता-पिता की राह तो सरकाघाट के दंपती ने किया कन्यादान, उत्‍तर प्रदेश में फंसा है परिवार
कोरोना ने रोकी माता-पिता की राह तो सरकाघाट के दंपती ने किया कन्यादान, उत्‍तर प्रदेश में फंसा है परिवार

भुताशन शर्मा, सरकाघाट (मंडी)। कोरोना काल बेशक सबको डरा रहा, लेकिन इस दौरान रिश्तों की डोर भी बंध रही। मंडी जिले के सरकाघाट उपमंडल के रीसा गांव के बीरी दत्त व उनकी पत्नी भावना ने उत्तर प्रदेश की लड़की का कन्यादान कर इस डोर को और मजबूत किया है। इतना ही नहीं दंपती ने विवाद विवाह का सारा खर्च भी खुद किया। उत्तर प्रदेश के भगत चौहरा (तारामंडल) (गोरखपुर) का रुद्र निषाद मंडी जिले के सरकाघाट व धर्मपुर में टाइल व मार्बल लगाने का काम करता है। उनकी बहन सोनी का विवाह चौणोता पंचायत के ध्वाल गांव के प्रकाश चंद के बेटे जितेंद्र से तय हुआ था।

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अप्रैल में सगाई के साथ सात अगस्त को दोनों की शादी की तिथि निर्धारित की गई थी। सोनी भी अपने भाई के साथ सरकाघाट में रह रही थी। अनलॉक-दो में हालांकि राज्य के भीतर आने-जाने की अनुमति है। बसों का अंतरराज्यीय आवागमन नहीं हो रहा है। इस कारण सोनी के पिता शिवप्रशाद पांडे व मां राजेश्वरी हिमाचल नहीं पहुंच पाए।

वर पक्ष के लोग शादी को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। माता-पिता के न आने के कारण शादी का खर्च और कन्यादान की चिंता रुद्र निषाद को थी। इसी बीच सरकाघाट के रीसा के रहने वाले बीरी दत्त और भावना से निषाद ने सोनी का कन्यादान का आग्रह किया। बीरी दत्त और भावना के दो बेटे ही हैं। दोनों ने अपने परिवार में सोनी के कन्यादान के लिए बेटे सुनील और बड़े भाई देशराज से चर्चा की।

पूरे परिवार ने हामी भरने के साथ शादी का खर्च भी उठाने का जिम्मा लिया। इसके बाद सात अगस्त को पिंगला पंचायत के प्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर में सोनी व जितेंद्र का विवाह संपन्न हुआ। बीरी दत्त व भावना ने सोनी का कन्यादान किया और माता-पिता बन सभी रस्मों को निभाया। बरात में आए लोगों को मंडयाली धाम भी परोसी गई।


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