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जसवां परागपुर में इ टेंडरिंग के विरोध में उतरे पंचायत प्रतिनिधि

विभाग द्वारा पंचायतों में विभिन्न मतों के अंतर्गत बकाया राशि को इ टेंडरिंग के माध्यम से खर्च करने का निर्णय लिया गया है। जिसका पंचायत प्रतिनिधियों समिति सदस्यों के साथ-साथ जिला परिषद सदस्यों ने भी विरोध जताया है।

By Richa RanaEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 04:31 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 04:31 PM (IST)
जसवां परागपुर में इ टेंडरिंग के विरोध में उतरे पंचायत प्रतिनिधि
विकासात्मक कार्यों को इ टेंडरिंग के माध्यम से करवाए जाने का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया है।

जसवां परागपुर, जेएनएन।15 में वित्तयोग के अंतर्गत पंचायतों में होने वाले विकासात्मक कार्यों को ई टेंडरिंग के माध्यम से करवाए जाने का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया है। विभाग द्वारा पंचायतों में विभिन्न मतों के अंतर्गत बकाया राशि को इ टेंडरिंग के माध्यम से खर्च करने का निर्णय लिया गया है। जिसका पंचायत प्रतिनिधियों, समिति सदस्यों के साथ-साथ जिला परिषद सदस्यों ने भी विरोध जताया है।

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पंचायत समिति परागपुर के उपाध्यक्ष राकेश कुमार, जंडौर पंचायत के प्रधान सुरेश ठाकुर, अमरोह पंचायत के प्रधान तरसेम लाल, घाटी पंचायत के प्रधान राजेश्वर सिंह, बाड़ी पंचायत प्रधान रानी देवी तथा रिड़ी कुठेड़ा पंचायत प्रधान आशा रानी सहित पंचायत पदाधिकारियों ने कहा कि ई टेंडरिंग का निर्णय पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट तथा इसके अधीन बनाए गए नियमों में भी पंचायतों के अंदर ठेकेदारों से कार्य करवाने का कोई प्रावधान नहीं है। ग्राम पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा शुरू होने से कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठेंगे। पंचायतों के अंदर इ टेंडरिंग से कार्य करवाया जाना किसी भी प्रकार से तर्कसंगत नहीं है । इससे लोगों की सहभागिता ही खत्म नहीं होगी बल्कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर भी इस निर्णय का विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

पंचायत प्रतिनिधियों ने डीएससी( डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट ) के माध्यम से होने वाली अदायगियों का भी विरोध किया है। खंड परागपुर के पंचायत समिति उपाध्यक्ष राकेश कुमार के अनुसार अधिकांश पंचायत प्रतिनिधि कंप्यूटर तथा इंटरनेट प्रणाली से अनभिज्ञ हैं जिस कारण सरकार को इस तरह के निर्णयों से बचना होगा।

उन्होंने सरकार से इ टेंडरिंग के निर्णय को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि सरकार जनहित में इस निर्णय को वापस ले अन्यथा सरकार को पंचायत प्रतिनिधियों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ेगा ।


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