नहीं चलेगी चीन की, दलाईलामा ही चुनेंगे उत्तराधिकारी
15वें दलाईलामा उत्तराधिकारी का चयन दलाईलामा स्वयं करेंगे चीन सरकार का दावा खारिज तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में हुई चर्चा।
धर्मशाला, जेएनएन। 15वें दलाईलामा के चयन के लिए धर्मशाला में प्रस्ताव पारित कर बौद्ध लामाओं ने चीन सरकार के दलाईलामा के पुनर्जन्म पर अधिकार के दावे को खारिज कर दिया है। अब दलाईलामा ही अपना उत्तराधिकारी चुनेंगे। तय किया गया कि इस मामले में चीन की नहीं चलेगी और 800 साल पुरानी तिब्बती परंपराओं का ही निर्वहन किया जाएगा। इस बाबत धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के धर्म एवं संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय तिब्बती धार्मिक सम्मेलन के दूसरे दिन भी चर्चा हुई।
शुक्रवार को अंतिम दिन आयोजन में दलाईलामा भाग लेंगे और उपस्थित बौद्ध लामाओं को संबोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि इसी साल अक्टूबर में मैक्लोडगंज में तिब्बती समुदाय का विशेष अधिवेशन हुआ था और इसमें निर्णय लिया था कि दलाईलामा ही उत्तराधिकारी चुनें और इस मामले में चीन का हस्तक्षेप सहन नहीं होगा। वर्ष 1969 के बाद से ही दलाईलामा के पुनर्जन्म की चर्चाएं शुरू हुई थीं। इस मामले में दलाईलामा का भी हमेशा यही रुख रहा है कि यह तिब्बती समुदाय का ही मामला है। यदि चीन सरकार अपना दलाईलामा घोषित करती है तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यह है परंपरा
हर अगले अवतार को दलाईलामा ही खुद तय करते आए हैं। हर दलाईलामा मौत से पहले ऐसे संकेत वरिष्ठ लामाओं को दे जाते हैं, जिनसे उनके अगले अवतार की पहचान आसानी से की जा सकती है। मौजूदा समय में यह परंपरा 14वें दलाईलामा तक पहुंची है। वर्तमान दलाईलामा ने कुछ साल पहले यह कहा था कि इस विषय में वे लिखित निर्देश छोड़कर जाएंगे। जाहिर है कि दलाईलामा बार-बार चीन को भी स्पष्ट कर चुके हैं कि अगला दलाईलामा वही तय करेंगे।
क्या है दलाईलामा
दलाईलामा मंगोल भाषा का शब्द है और इसका सामान्य अर्थ है ज्ञान का महासागर। दलाईलामा कोई नाम नहीं, बल्कि यह दलाईलामा के अवतार के रूप में जन्म लेने वाले को मिलने वाली एक पहचान है। दलाईलामा की पदवी सबसे पहले तिब्बत के तीसरे सर्वोच्च धर्मगुरु सोनम ज्ञाछो को मिली थी।
2011 में लिया था बड़ा फैसला
वर्ष 2011 में मौजूदा दलाईलामा ने बड़ी परंपरा को तोड़ दिया था। पहले दलाईलामा ही तिब्बत के सर्वोच्च राजनीतिक प्रमुख होते थे। यानी राजनीति से धर्म तक सभी निर्णय दलाईलामा ही लेते थे, लेकिन 29 मई, 2011 को उन्होंने राजनीतिक अधिकार एक प्रक्रिया के तहत निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख को सौंप दिए थे। अब दलाईलामा केवल सर्वोच्च धर्मगुरु ही हैं। .
तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति चीन की शत्रुता हमें स्वीकार नहीं है। इसी तरह, हम पुनर्जन्म प्रक्रिया में चीन के हस्तक्षेप को अस्वीकार करते हैं। यह तिब्बती समुदाय व दलाईलामा को ही तय करना है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।
-डॉ. लोबसांग सांग्ये, अध्यक्ष केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन