मूल वेतन में बढ़ोतरी नहीं पुरानी पेंशन ही चाहिए
केंद्र सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नववर्ष का तोहफा एनपीएस को कबूल नहीं है। एनपीएस में सरकारी योगदान मूल वेतन का 14 प्रतिशत बढ़ोतरी नहीं पुरानी पेंशन चाहिए। एक बार फिर सरकारी कर्मचारियों की एकता सिर चढ़ के
संवाद सूत्र, जसूर : केंद्र सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नववर्ष का तोहफा एनपीएस को कबूल नहीं है। एनपीएस में सरकारी योगदान मूल वेतन का 14 फीसद बढ़ोतरी नहीं पुरानी पेंशन चाहिए। एक बार फिर सरकारी कर्मचारियों की एकता सिर चढ़ के बोल रही है। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ की प्रदेश इकाई ने आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बनाई है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. संजीव गुलेरीया व प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में सरकार का योगदान बढ़ाकर मूल वेतन का 14 फीसद कर केंद्र सरकार सरकारी कर्मचारियों को धोखा देना चाहती है। केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वीरवार को नववर्ष के तोहफा का ऐलान किया है। मंत्रिमंडल ने एनपीएस में सरकार का योगदान बढ़ाकर मूल वेतन का 14 फीसद कर दिया जो फिलहाल दस फीसद है। हालांकि कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान दस फीसद ही बना रहेगा। मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों के दस फीसद तक योगदान के लिए आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर प्रोत्साहन को भी मंजूरी दी। फिलहाल सरकार और कर्मचारियों का योगदान एनपीएस में दस-दस प्रतिशत तक है। संघ के महासचिव भरत शर्मा का मानना है कि सरकार का यह ऐलान केवल छलावा है। देश में मई-जून 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वोट पाने का केवल एक हथकंडा है। दावा है कि सरकर जब तक राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीए) को समाप्त कर पूरी तरह से पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करती, तब तक वे अपनी मांग पर कायम रहेंगे। इनका कहना है कि 26 नवंबर का असर दिखना शुरू हुआ है।