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बैजनाथ मंद‍िर में हुई अखरोटों की बरसात, भक्‍तों ने प्रसाद के रूप में एक‍त्र‍ित किए अखरोट

बैजनाथ मंद‍िर में बैकुंठ चौदस के मौके पर अखरोट बरसात का आयोजन क‍िया गया।

By Munish DixitEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 09:00 PM (IST)
बैजनाथ मंद‍िर में हुई अखरोटों की बरसात, भक्‍तों ने प्रसाद के रूप में एक‍त्र‍ित किए अखरोट
बैजनाथ मंद‍िर में हुई अखरोटों की बरसात, भक्‍तों ने प्रसाद के रूप में एक‍त्र‍ित किए अखरोट

जेएनएन, बैजनाथ। ह‍िमाचल प्रदेश के बैजनाथ स्‍थ‍ित श‍िव मंद‍िर में बैकुंठ चौदस के मौके पर बुधवार सायं अखरोटों की बरसात हुई। यह बरसात हर साल बैकुंठ चौदस के दौरान शाम को होती है। आप भले ही इस बात को जानकर चौंक रहे हों, लेक‍िन यह हकीकत है। यह अलग बात है क‍ि यह बरसात प्रकृति रूप से नहीं  बल्‍‍िक मंद‍िर के पुजार‍ियों द्वारा की जाती है। इस बरसात के माध्‍यम से यहां बैकुंठ चौदस पर कई सालों से चली आ रही परंपरा का न‍िर्वहन क‍िया जाता है।

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बुधवार सायं इस दौरान ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में बैकुंठ चौदस के दिन करीब दस हजार अखरोटों की बरसात की गई। यानी मंद‍िर की छत से यह अखरोट नीचे ग‍िराए गए। मंदिर में मौजूद सैकड़ों भक्तों ने इन अखरोटों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। मंदिर के पुजारी सुरेंद्र आचार्य ने बताया कि पुरानी कथाओं के अनुसार शखासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से लोग ही नहीं बल्कि देवताओं में भी हाहाकार मचने लगा। राक्षस ने वेद मंत्रों को भी चुराने का प्रयास किया। सभी देवता इकट्ठे होकर भगवान विष्णु के पास गए व इसका उपाय निकाल कर राक्षस को मारने की प्रार्थना की।

देवताओं की प्रार्थना के बाद विष्णु भगवान ने मत्सय का रूप धारण कर राक्षस को मार गिराया। माना जाता है कि इसी दिन विष्णु भगवान बैंकुठ वापस आए तथा इसी को लेकर हीरे जवाहरात की बारिश की जाती थी। शिव मंदिर में भी इसी को लेकर बैंकुठ चौदस के दिन अखरोटों की बारिश की जाती है। यह परंपरा यहां कई सालों से मनाई जाती है और इस बार भी 21 नवंबर की शाम को यह परंपरा निभाई गई।


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