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जमा दो पास भी बना सकेंगे वेब सॉफ्टवेयर, स्वचालित होगी प्रोग्रामिंग, आइआइटी मंडी ने विकसित की तकनीक

Web Software Making वेब सॉफ्टवेयर बनाने के लिए विशेषज्ञों या फिर बड़ी कंपनियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 10:05 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 10:05 PM (IST)
जमा दो पास भी बना सकेंगे वेब सॉफ्टवेयर, स्वचालित होगी प्रोग्रामिंग, आइआइटी मंडी ने विकसित की तकनीक
जमा दो पास भी बना सकेंगे वेब सॉफ्टवेयर, स्वचालित होगी प्रोग्रामिंग, आइआइटी मंडी ने विकसित की तकनीक

मंडी, हंसराज सैनी। वेब सॉफ्टवेयर बनाने के लिए विशेषज्ञों या फिर बड़ी कंपनियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब दस जमा दो कक्षा पास विद्यार्थी घर बैठे आराम से वेब सॉफ्टवेयर बना सकता है। लाखों रुपये खर्च नहीं करने होंगे। न ही कोई प्रोग्रामिंग (कोडिंग) करनी होगी। सॉफ्टवेयर बनाने के लिए मात्र दो दिन का प्रशिक्षण लेना होगा। प्रशिक्षण ऑनलाइन मिलेगा।

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किसी बड़े शहर या विशेषज्ञ के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं की देखरेख में स्टार्टअप के तहत पंजाब के मोहाली की डाटाकुंड कंपनी ने ऐसा ऑटोमेशन टूल्स यानी सॉफ्टवेयर विकसित किया है।

इसे कोई भी व्यक्ति अपने कंप्यूटर या लैपटाॅप पर रन कर बिना प्रोग्रामिंग से वेब सॉफ्टवेयर बना सकता है। वेब ब्राउजर पर किए जाने वाले काम को व्यक्ति जैसे जैसे सेव करता जाएगा। वह ऑटोमेशन टूल्स के माध्यम से सॉफ्टवेयर में बदल जाएगा। आज दुनिया वेब के उपयोग पर केंद्रित है। लोग अपने कामकाज को नियमित रूप से करने के लिए डिजिटल माध्यम का उपयोग कर रहे हैं।

वेब आधारित सॉफ्टवेयर न होने से एक जैसे काम के लिए डाटा प्रविष्टि हर बार नए सिरे से करनी होती है या फिर कंप्यूटर के किसी सॉफ्टवेयर में डाटा फाइल सेव रखनी पड़ती है। डाटाकुंड कंपनी ने यह तकनीक डिजिटल मार्केटर्स, ई-कॉमर्स सेलर्स और फ्रीलांसरों के लिए विकसित की है। निधि सीड स्पोर्ट कार्यक्रम के तहत आइआइटी मंडी 10 लाख रुपये की फंडिंग की थी। 

सॉफ्टवेयर बनाने के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का ज्ञान जरूरी

सॉफ्टवेयर विकिसत करने के लिए कंप्यूटर की भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है। लैंग्वेज में सी++, जावा, पाईथन, सी शार्प इत्यादि प्रमुख है। इन्हीं भाषओं के माध्यम से सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग व बीसीए जैसे डिग्री कोर्स में यह सभी भाषाएं सिखाई जाती हैं। ऑटोमेशन टूल्स में विकसित होने से कंप्यूटर भाषाएं सीखने की जरूरत नहीं रहेगी। वेब आधारित सॉफ्टवेयर विकसित करने के दौरान ऑटोमेशन टूल्स अपने आप स्वचालित तरीके से कोडिंग करेगा।

वेब आधारित सॉफ्टवेयर विकिसित करने के लिए अब कंप्यूटर प्रोग्रामिंग व भाषा सीखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऑटोमेशन टूल्स स्वचालित तरीके से इस काम को पूरा करेगा। -अभिषेक चौधरी, सीइओ डाटाकुंड कंपनी मोहाली।


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