श्रीरेणुकाजी बांध के शिलान्यास के बाद किशाऊ बांध की औपचारिकताएं पूरी करवाने में जुटी प्रदेश सरकार
हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने जिला सिरमौर के श्रीरेणुकाजी में 40 मेगावाट बांध का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास करवाए जाने के बाद एक और बांध के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। बांध के लिए सरकार ने केंद्र और उत्तराखंड से जल्द बैठक करने जा रहा है।
नाहन, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने जिला सिरमौर के श्रीरेणुकाजी में 40 मेगावाट बांध का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास करवाए जाने के बाद एक और बांध के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिला सिरमौर के शिलाई उपमंडल के किशाऊ में प्रस्तावित 660 मेगावाट प्रस्तावित बांध के लिए सरकार ने केंद्र और उत्तराखंड से जल्द बैठक करने जा रहा है। ताकि इस बांध का के निर्माण की सभी औपचारिकताएं जल्द पूरी कर इसके निर्माण का रास्ता साफ हो सके।
हिमाचल एवं उत्तराखंड की सीमा पर टोंस नदी पर बांध बनाया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि यह एशिया का दूसरा बड़ा बाध होगा। इसमें हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी रहेगी। परियोजना में 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सरकार 10 फीसदी हिस्सा देगी। किशाऊ बांध 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा होगा। जिसमें 660 मेगावाट बिजली तैयार होगी। इस बांध के बनने से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। सबसे ज्यादा लाभ इस बांध से दिल्ली को होगा, जहां पानी की आपूर्ति को पूरा किया जाएगा।
किशाऊ बांध सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसके निर्माण को लेकर हिमाचल और उत्तराखंड राज्यों ने अपनी सहमति दे दी है। सरकार ने वर्ष 2008 में इसको राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया है। अब आईआईटी रुड़की की मदद से सीस्मिक डिजाइन पैरामीटर स्टडी की जाएगी। इसके बाद संशोधित डीपीआर तैयार की जाएगी। माना जा रहा है कि संशोधित डीपीआर में इस परियोजना की लागत 11 हजार करोड़ से बढ़कर 15 हजार करोड़ हो सकती है।
32 किलोमीटर लंबी बनेगी झील
हिमाचल के मोहराड़ से लेकर उत्तराखंड के त्यूणी तक किशाऊ बांध बनने से 32 किलोमीटर की लंबी झील बनेगी। अभी तक की सर्वेक्षण रिपोर्ट में बांध की जद में 81300 पेड़, 631 लकड़ी के मकान, 171 पक्के मकान, उत्तराखंड व हिमाचल के 632 सामूहिक परिवार, 508 एकल परिवार, 8 मंदिर, 6 पंचायतें, 2 अस्पताल, 7 प्राथमिक पाठशालाएं, 2 माध्यमिक स्कूल और एक इंटर कालेज आएगा। इस परियोजना का कुल क्षेत्र 2950 हेक्टेयर है, जिसमें हिमाचल की 1498 हेक्टेयर और उत्तराखंड की 1452 हेक्टेयर भूमि बांध में जलमग्न हो जाएगी। दोनों राज्यों के 900 परिवार प्रभावित होंगे।
इन राज्यों की रहेंगी हिस्सेदारी
बांध परियोजना में हरियाणा राज्य 478.85 करोड़, उत्तर प्रदेश 298.76 करोड़, राजस्थान 93.51करोड़, दिल्ली 60.50 करोड़, उत्तराखंड 38.19 करोड़ व हिमाचल 31.58 करोड़ खर्च करेगा। बीते वर्ष 21 सितंबर को बोर्ड की बैठक और 24 नवंबर को हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि किशाऊ बांध परियोजना की डीपीआर संशोधित की जाएगी। इस संशोधन से पूर्व सिरे से हाईड्रोलाजिकल डाटा, सर्वेक्षण, अतिरिक्त सर्वेक्षण, विस्तृत जियो तकनीकी इन्वेस्टिगेशन, ताजा सीस्मिक पैरामीटर स्ट्डीज, परियोजना में संशोधित खर्च के हिसाब से संशोधित ढांचा तैयार किया जाएगा। इस संशोधन के लिए नेशनल इंस्टीच्यूट आफ हाइड्रोलाजी की मदद से हाइड्रोलाजिकल डाटा संग्रहण किया जाएगा।
सिरमौर के ये गांव होंगे प्रभावित
किशाऊ बांध परियोजना बनने से प्रभावित होने वाले हिमाचल जिला सिरमौर उपमंडल शिलाई के गांव मोहराड़, मशवाड, कंड्यारी, नेरा, बड़ालानी, सियासु, थनाणा, धारवा, शिला जिला के गांव गुम्मा, फेलग, अंतरोली और उत्तराखंड के क्वानु, सावर, कोटा सहित 17 गांव प्रभावित होंगे। लोगों ने सुझाव दिया कि सरकार को कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए, जिससे बांध भी बन जाए और लोगों को विस्थापित भी न होना पड़े। कोटी-इछाड़ी जैसी परियोजना की तरह इस बांध को तीन छोटी-छोटी इकाइयों में तब्दील किया जाए, जिससे लोगों का विस्थापन न हो। पर्यावरण पर भी विपरीत असर न पड़े। क्वानु गांव जैसी उपजाऊ जमीन कहीं नहीं हो सकती है। क्वानु गांव तमसा नदी के किनारे पहाड़ों के बीच मैदानी जगह पर बसा है, जहां कभी सूखा नहीं पड़ता।
हिमाचल सरकार ने दी स्वीकृति : बलदेव तोमर
शिलाई के पूर्व विधायक एवं खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम उपाध्यक्ष बलदेव तोमर ने बताया कि टोंस नदी पर बनने वाले किशाऊ बांध परियोजना के लिए हिमाचल सरकार ने अपनी स्वीकृति दे दी है। उत्तराखंड राज्य की भी सहमति है। किशाऊ बांध की पहले भी डीपीआर तैयार की गई थी, अब पुन: इसकी डीपीआर बनाई जानी है। इसके तैयार होते ही किशाऊ बांध का निर्माण कार्य आरंभ किया जाएगा।