कहां चलें राहगीर..जवाब दो सरकार
परिवेश महाजन जयसिंहपुर उपमंडल मुख्यालय होने के बावजूद जयसिंहपुर बाजार में फुटपाथ नहीं हैं। सड़क किनारों पर रेहड़ी फड़ी वालों का कब्जा होने के साथ-साथ वाहन भी पार्क रहते हैं। इस कारण राहगीरों को सड़क पर जान जोखिम में डालकर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
परिवेश महाजन, जयसिंहपुर
उपमंडल मुख्यालय होने के बावजूद जयसिंहपुर बाजार में फुटपाथ नहीं हैं। सड़क किनारों पर रेहड़ी फड़ी वालों का कब्जा होने के साथ-साथ वाहन भी पार्क रहते हैं। इस कारण राहगीरों को सड़क पर जान जोखिम में डालकर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
हालांकि जयसिंहपुर बाजार से गुजरने वाले आलमपुर-हारसीपत्तन मार्ग को मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड का दर्जा मिल गया है। यही नहीं उपमंडल मुख्यालय में राज्यस्तरीय दशहरा उत्सव भी मनाया जाता है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अभी तक जयसिंहपुर बाजार में फुटपाथ निर्माण की दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। साथ ही राहगीरों की समस्या का समाधान हो सके, इसके लिए अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन व संबंधित पंचायत की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। एसबीआइ चौक से बस स्टैंड तक सड़क किनारे तो वाहन खड़े रहते हैं या फिर रेहड़ी-फड़ी वाले डेरा जमाए रहते हैं। बस स्टैंड में तो लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लोगों के निजी वाहन, टैक्सियां व ट्राले सड़क किनारे खड़े रहते हैं और इस कारण हर समय दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। पार्किंग का भी प्रशासन इंतजाम नहीं कर पाया है।
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जयसिंहपुर में पार्किंग की समस्या है। बाहर से आने वाले लोग अक्सर सड़क किनारे वाहन खड़े कर देते हैं। इस कारण राहगीर सड़क पर चलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। प्रशासन को फुटपाथ का निर्माण करना चाहिए।
-कृष्णकांत धीमान
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बस स्टैंड पर बढ़ता अतिक्रमण दुर्घटना का कारण बन सकता है। एसबीआइ चौक से बस स्टैंड तक रेहड़ी फड़ी व वाहनों का कब्जा रहता है, जबकि लोग बीच सड़क में चलने के लिए मजबूर हैं। प्रशासन को इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए।
-अश्वनी वालिया।
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प्रशासन रेहड़ी फड़ी वालों को बैठने के लिए स्थान मुहैया करवाए। यही एकमात्र समाधान हो सकता है। सड़क के दोनों तरफ येलो लाइन लगाई जानी चाहिए व दोनों ओर फुटपाथ बनाना होगा। शीघ्र व्यापार मंडल प्रशासन से बैठक करेगा।
-अभिषेक सूद
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लोग वाहनों को सड़क किनारे खड़े कर देते हैं। साथ ही रेहड़ी वालों ने भी कब्जा जमाया है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन ने कभी कार्रवाई न की हो, लेकिन मामूली जुर्माना भरकर दोबारा हालात वहीं के वहीं पहुंच जाते हैं।
-संजय डोगरा