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पांवटा नगर परिषद के कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला दिसंबर माह का वेतन

पांवटा साहिब में पिछले लंबे समय से नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है। नगर परिषद में 30 अन्य पद भी रिक्त हैं। नगर परिषद के कर्मचारियों को 15 जनवरी बीत जाने के बाद भी दिसंबर माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है।

By Richa RanaEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 03:11 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 03:11 PM (IST)
पांवटा साहिब में पिछले लंबे समय से नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है।

नाहन, जागरण संवाददाता। पांवटा साहिब में पिछले लंबे समय से नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है। इसके साथ ही नगर परिषद में 30 अन्य पद भी रिक्त हैं। आलम यह है कि नगर परिषद के कर्मचारियों को 15 जनवरी बीत जाने के बाद भी दिसंबर माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है। पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुखराम चौधरी प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं। यह हालात तब है जब विधायक प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।

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जिस नगर परिषद में ईओ सहित अन्य मुख्य पद रिक्त पड़े हो। वहां पर शहर में कोरोना की रोकथाम के लिए कितना काम हो सकता है। इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है। वही अब जेई की भी ट्रांसफर हो गई है। इसके साथ ही सेनेटरी सुपरवाइजर सहित अन्य 30 पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में कोरोना वायरस के दौरान रोकथाम के उपायों के लिए नगर परिषद कितना काम कर पाएगी यह सोंचने वाले विषय है। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार नायब तहसीलदार देख रहे थे, जो बीते वर्ष 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उसके बाद कार्यकारी अधिकारी का किसी के पास अतिरिक्त कार्यभार भी नहीं है। परिणाम स्वरूप जहां अभी तक करीब 100 कर्मचारियों के दिसंबर माह का वेतन जारी नहीं हो पाया है, वही कोरोना की रोकथाम के लिए शहर में नगर परिषद द्वारा करवाए जाने वाले दवाइयों के छिड़काव की मुहिम को भी धक्का लग गया है।

कांग्रेस की माने तो एक और जहां ऊर्जा मंत्री पांवटा साहिब के विकास के दावे करते फिर रहे हैं। वहीं दूसरी और नगर परिषद में अहम पदों से लेकर अन्य 30 पदों के रिक्त होने से ही पता चल जाता है कि पांवटा का विकास किस गति से चल रहा है। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में नगर परिषद में करीब 100 कर्मचारी कार्य करते हैं। इनमे 87 कर्मचारी अनुबंध और आउटसोर्स पर तैनात है। जबकि बाकी के नियमित कर्मचारी मौजूद है। कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त होने के चलते इन कर्मचारियों को दिसंबर माह का वेतन भी अभी तक नहीं मिल पाया है। जो 1 से 7 तारीख तक जारी हो जाता था।

इसके अतिरिक्त डोर टू डोर गारबेज उठाने वाले कर्मचारियों का वेतन भी जारी नहीं हो पाया है। यही नहीं पिछले 2 वर्षों में जिस नगर परिषद ने कोरोना महामारी के दौरान बेहतरीन सेवाएं दी है, वह इस बार अधिकारियों की अनुपस्थिति में कुछ कार्य करने में भी असमर्थ सी नजर आ रही है। ना तो अभी तक शहर में कहीं भी दवाई का छिड़काव हो पाया है और न ही सरकार और सरकार के नुमाइंदे यहां पर रिक्त पदों को भरने की जेहमत उठा रहे हैं।

जानकारी यह मिली है कि यहां पर तैनात कनिष्ठ अभियंता का भी यहां से नाहन तबादला हो गया है। हालांकि कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त होने के चलते जेई अभी तक रिलीव नहीं हुए हैं। मगर आए दिन अहम विभागों के पदों का रिक्त होना कहीं ना कहीं विपक्ष के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। जिस पर आने वाले समय में राजनीति देखने को मिल सकती है। ऐसे में यदि जल्द यहां पर ईओ सहित अन्य रिक्त पदों पर भर्ती नही होती तो ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी की मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ सकती है। उधर एसडीएम पांवटा साहिब विवेक महाजन ने बताया कि उन्हे फिलहाल ईओ के अतिरिक्त कार्यभार संभालने के कोई आदेश नहीं मिले हैं।


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