हिमाचल से जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे सैंपल में 63 प्रतिशत में म्यूटेशन
Genome Sequencing in Corona तीसरी लहर की आहट के बीच चिंता की बात यह है कि कोरोना लगातार अपना रूप बदल रहा है। हिमाचल से जीनोम सीक्वेंसिंग यानी कोरोना के बदलते स्वरूप का पता लगाने के लिए भेजे गए सैैंपल में यह बात सामने आई है।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा।
Genome Sequencing in Corona, तीसरी लहर की आहट के बीच चिंता की बात यह है कि कोरोना लगातार अपना रूप बदल रहा है। हिमाचल से जीनोम सीक्वेंसिंग यानी कोरोना के बदलते स्वरूप का पता लगाने के लिए भेजे गए सैैंपल में यह बात सामने आई है। जांच को भेजे गए 3061 सैैंपल में से 1926 में म्यूटेशन यानी अलग-अलग वैरिएंट पाए गए हैैं।
प्रदेश से भेजेे गए कुल सैंपल में से 63 प्रतिशत में यह बदलाव पाया गया है। आइजीएमसी से भेजे सैंपल में मंडी की विदेश से लौटी महिला में ओमिक्रोन, आइएचबीटी पालमपुर से जुलाई 2021 में भेजे महिला के सैैंपल में डेल्टा प्लस और हमीरपुर मेडिकल कालेज से भेजे गए एक सैंपल में साउथ अफ्रीका का वैरिएंट पाया गया है।
प्रदेश से जीनोम सीक्वेंसिंग को भेजे गए सैंपल में से अभी तक 1025 में डेल्टा वैरिएंट पाया गया है। कोरोना के बदलते स्वरूप का परिणाम है कि प्रदेश में कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है। इसका कारण ओमिक्रोन को माना जा रहा है और कोरोना संक्रमण के मामले करीब आठ गुणा तक बढ़ गए हैं। राहत की बता यह है कि 98 फीसद कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत नहीं पड़ रही है।
वैरिएंट का पता लगाने के लिए दो प्रतिशत भेजे जा रहे सैैंपल
हिमाचल की विभिन्न लैब के माध्यम से जो भी आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पालीमर्स चेन रिएक्शन) टेस्ट हो रहे हैैं उनमें में से दो प्रतिशत को वैरिएंट का पता लगाने के लिए दिल्ली की जीनोम सीक्वेंसिंग लैब भेजा जा रहा है।
प्रदेश में अभी तक ओमिक्रोन, डेल्टा प्लस और साउथ अफ्रीका वैरिएंट का एक-एक सैैंपल में पाया गया है। वैरिएंट का पता लगाने के लिए रैैंडम आधार पर सैंपल जांच को भेजे जा रहे हैैं।
-हेमराज बैरवा, मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हिमाचल प्रदेश