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सास-बहू नहीं, मां-बेटी बन संवारा बेटियों का भविष्‍य और पहुंचाया मुकाम पर; पढ़ें प्रेरणादायक खबर

इन दोनों महिलाओं ने जिस हिम्मत दलेरी और मेहनत से आगे तीन बच्चियों को उनके पांवों पर खड़ा किया है वह अपने में एक मिसाल है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 03:11 PM (IST)
सास-बहू नहीं, मां-बेटी बन संवारा बेटियों का भविष्‍य और पहुंचाया मुकाम पर; पढ़ें प्रेरणादायक खबर
सास-बहू नहीं, मां-बेटी बन संवारा बेटियों का भविष्‍य और पहुंचाया मुकाम पर; पढ़ें प्रेरणादायक खबर

पालमपुर, कुलदीप राणा। कहने के लिए उनके बीच सास-बहू का रिश्ता है पर वे सास-बहू न होकर मां और बेटी की तरह रहती हैं। इन दोनों महिलाओं ने जिस हिम्मत, दलेरी और मेहनत से आगे तीन बच्चियों को उनके पांवों पर खड़ा किया है वह अपने में एक मिसाल है। मां जिसका जवान बेटा उसे जीवन के उस पड़ाव पर छोड़ जाए जब सहारे की सबसे अधिक जरूरत महसूस होती है तो उसकी व्यथा का अंदाजा लगाना बहुत कठिन हो जाता है। मगर इस मां ने न केवल बहू को बेटी की तरह माना, बल्कि तीन पोतियों को भी ऐसा सहारा दिया कि आज वे सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर हो रही हैं।

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हम बात कर रहे हैं उपमंडल बैजनाथ के चंगर धार क्षेत्र के मत्याल गांव की। यहां एक बुजुर्ग मां ने जवान बहू और पोतियों को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है जिसकी सराहना अब सभी कर रहे हैं। मत्याल निवासी प्रदीप मेहता भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में कार्यरत थे। प्रदीप मेहता की 7 जून, 2001 में लेह में हादसे के दौरान मौत हो गई और परिवार पर विपत्ति टूट पड़ी। घर पर बुजुर्ग मां, जवान पत्नी और तीन मासूम बेटियां रह गई। बेटियां ऐसी कि एक ने तो ढंग से पिता का प्यार भी नहीं देखा था।

मात्र दस माह की बेटी को गोद में लिए उस महिला की मनोस्थिति वह ही समझ सकता है जिसके किसी अपने के साथ यह हादसा घटित हुआ हो मगर बुजुर्ग कमला देवी बहू सुमन और पोतियों दस माह की रजिया, नौ वर्ष की रिचा और ग्यारह वर्ष की शबनम के लिए ऐसी ढाल बनी कि न केवल उन्हें जीवन की ऊंच-नीच को समझाया बल्कि पढ़ा-लिखा कर ऐसे मुकाम पर पहुंचाया कि अब वे तीनों परिवार के लिए प्रेरणा बन गई हैं। सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री फोर्स सहायता संगठन के प्रदेश सचिव मनवीर कटोच बताते हैं कि 80 वर्षीय कमला देवी और उनकी बहू सुमन ने खेतीबाड़ी व दूध उत्पादन के जरिये कड़ी मेहनत करते हुए तीन मासूम बेटियों को इस प्रकार पाल-पास कर बढ़ा किया कि आज वह अपने पैरों पर खड़ा हो गई हैं।

बड़ी बेटी शबनम पीएचडी की डिग्री प्राप्त करते हुए अब शिमला में कृषि विकास अधिकारी के पद पर सेवाएं दे रही हैं। दूसरी बेटी रिचा एमएससी और बीएड कर चुकी है तो सबसे छोटी रजिया एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। बेटी है अनमोल को बुजुर्ग कमला देवी ने अठारह वर्ष पहले ही मानते हुए जहां बहू को बेटी माना, वहीं बहू ने तीन बेटियों को पालकर ऐसे मुकाम पर पहुंचाया जहां वह दादी और मां की मेहनत की तरफ देखती हैं तो उन्हें ऐसा अहसास होता है कि दुनिया में उनकी दादी और मां के अलावा कुछ और नहीं है।

सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री फोर्स सहायता संगठन करेगा सम्मानित

सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री फोर्स सहायता संगठन ने इन वीर वीरांगनाओं को सम्मानित करने व सहायता देने का निर्णय लिया है। पैरामिलिट्री फोर्स के प्रदेश सचिव मनवीर कटोच कहते हैं कि प्रदेश सरकार भी इन महिलाओं की जीवटता को देखते हुए उचित मंच पर सम्मान प्रदान करे ताकि दूसरों के सामने ये उदाहरण बनें।


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