Move to Jagran APP

मोहन भागवत का सीधा संदेश, नई पीढ़ी से न छुपाएं इतिहास के कटु सत्य, राष्ट्रवाद में जाति पाति के लिए स्थान नहीं

RSS Chief Mohan Bhagwat इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने वाले कभी देशभक्त नहीं हो सकते। भारत का इतिहास गौरव से भरा है तो कहीं कुछ गलतियां भी हुई हैं। देश की नई पीढ़ी के सामने सारा इतिहास रखा जाना चाहिए वे अपने गौरवपूर्ण इतिहास पर गर्व कर सकें

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 21 Dec 2021 09:09 AM (IST)Updated: Tue, 21 Dec 2021 09:09 AM (IST)
मोहन भागवत का सीधा संदेश, नई पीढ़ी से न छुपाएं इतिहास के कटु सत्य, राष्ट्रवाद में जाति पाति के लिए स्थान नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत

धर्मशाला, नवनीत शर्मा। RSS Chief Mohan Bhagwat, इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने वाले कभी देशभक्त नहीं हो सकते। भारत का इतिहास गौरव से भरा है तो कहीं कुछ गलतियां भी हुई हैं। देश की नई पीढ़ी के सामने सारा इतिहास रखा जाना चाहिए वे अपने गौरवपूर्ण इतिहास पर गर्व कर सकें और जहां गलतियां हुई हैं, वहां से सीख सकें। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत का। वह हिमाचल प्रवास के दौरान कांगड़ा में रविवार सायं हिमाचल प्रदेश के कुछ प्रबुद्धजनों के साथ संवाद कर रहे थे। सरसंघचालक ने आरंभ में ही स्पष्ट किया कि वह प्रश्न लेंगे एवं किसी को संतुष्ट करने का प्रयास नहीं करेंगे, किंतु उनके उत्तर सत्य का अनुष्ठान अवश्य करेंगे। इतिहास के पुनर्लेखन पर उनका कहना था कि एक विशेष दृष्टि से इतिहास लिखा गया, यह गलती सुधारी जानी चाहिए।

loksabha election banner

बाबा बालक नाथ न्यास के महंत के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि धर्म को चलाना राज्य का दायित्व नहीं, इसलिए हम मानते हैं कि मंदिर भक्तों के हवाले करने चाहिए। भागवत के अनुसार सरकारी स्वामित्व वाले मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि खजाना सरकार के हवाले है। कुछ निजी स्वामित्व वाले मंदिर हैं, वहां यह आरोप है कि निजी संस्थाएं खा गईं। इसलिए संघ मानता है कि मंदिर पर पहला अधिकार भक्तों का होना चाहिए क्योंकि भगवान तो भक्तों के हैं।

हिंदुओं को दोहरे आचरण से बचने का परामर्श देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू सड़कों पर छोड़ी बेसहारा गाय के लिए व्यथित होते हैं किंतु सत्य यह भी है कि गायों को बेसहारा छोडऩे वाले भी हिंदू ही हैं। उन्होंने अस्पृश्यता को भी भारतीय इतिहास की बड़ी गलती माना।

चीन के खतरे से संबद्ध प्रश्न पर उनका कहना था कि स्थितियां बदल रही हैं, अब 1962 वाली बात नहीं है। चीन और पाक एक साथ भारत से उलझें उससे पहले भारत का पूरी तरह तैयार होना आवश्यक है। और यह हो रहा है। संघ से महिलाएं क्यों दूर हैं, इस प्रश्न पर उनका कहना था कि आरंभिक स्थितियों के कारण ऐसा था पर अब नहीं है। स्वयंसेविकाओं की राष्ट्र सेविका समिति 8000 स्थानों पर कार्यरत है। जिस दिन दोनों मिलकर काम करना चाहेंगे, कर लेंगे।

शहीद परमवीर कैप्टन विक्रम बत्तरा के पिता गिरधारी लाल बत्तरा के प्रश्न पर उनका कहना था कि स्वंतत्रता प्राप्ति के बाद कबायलियों के पहले हमले से लेकर आज तक जितने भी युद्ध हुए, उनके नायकों पर भी पुस्तक आनी चाहिए। सरसंघचालक ने आश्वासन दिया कि वह कुछ लोगों से इस विषय में संवाद करेंगे ताकि पराक्रमियों का इतिहास भी संकलित हो।

सरसंघचालक ने कहा कि देश को आगे ले जाने के लिए जापान के माडल को पढऩा अनिवार्य है। जापान ने जिन 10 बिंदुओं पर काम किया, उनमें से पहले पांच आर्थिक या राजनीतिक नहीं हैं। वे यही हैं कि हम एक अनुशासित देश बनेंगे, प्रत्येक व्यक्ति देश को पहले रखेगा, देश के लिए साहस दिखाएंगे, जिससे देश को हानि हो, वैसा कार्य नहीं करेंगे और देश के लिए उत्कृष्ट कार्य करते रहेंगे।

आप एक हो जाएं, प्रतिबंध नहीं लेंगे

इस प्रश्न पर कि सारे प्रतिबंध हिंदुओं पर ही क्यों? सरसंघचालक का कहना था कि हिंदू जिस दिन पूरे शील और साहस के साथ एक हो जाएंगे, किसी की क्षमता नहीं रहेगी कि वह प्रतिबंध लगा सके क्योंकि एकता में बल है। सरकार सब कुछ नहीं कर सकती क्योंकि उसकी सत्ता मर्यादित है, सीमित है। अगर देश को बड़ा करना है तो मनुष्य को अच्छा होना होगा।

सामाजिक प्रयास स्थायी, नौकरशाह-राजनेता अस्थायी

एक प्रश्न के उत्तर में भागवत ने कहा कि नौकरशाह 30 वर्ष तक काम करता है, राजनेता पांच वर्ष के लिए सोचते हैं किंतु सामाजिक प्रयास स्थायी रहते हैं। प्रशासनिक ढांचा या मानसिकता ब्रिटिशकाल वाली है, उसमें कोई सुधार नहीं होता है। साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की कि अब परिवर्तन आरंभ हो चुका है, एक दिन सब ठीक होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.