संकट से बचने के लिए कर्मचारी महासंघ ने दिए सरकार को सुझाव, विभागीय बजट में 50 फीसद कटौती की मांग
Ministrial Employee Association कोरोना संकट से जंग लड़ रही प्रदेश सरकार के सामने आर्थिक संकट हो सकता है।
शिमला, जेएनएन। कोरोना संकट से जंग लड़ रही प्रदेश सरकार के सामने आर्थिक संकट हो सकता है। इस संकट से निपटने के लिए अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के विनोद गुट ने सरकार को कई सुझाव दिए हैं। संगठन ने कहा कि विभागों को जारी बजट आवंटन में 50 फीसद की कटौती की जाए। मंत्रियों के दौरे के दौरान विभागीय गाडिय़ों के दौडऩे पर पाबंदी लगाएं। नई गाडिय़ों की खरीद न हो। सरकारी वाहनों के आवंटन की समीक्षा हो। अधिकारियों को दिए जाने वाले टेलीफोन और मोबाइल फोन भत्तों पर तत्काल रोक लगे।
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के विनोद कुमार गुट के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि कोविड-19 के संकट के कारण प्रदेश प्रभावित होती आर्थिक स्थिति को समय रहते संभालने के लिए सरकार को मितव्ययता के उपाय अपनाने होंगे। अन्यथा महामंदी की स्थिति में प्रदेश में वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है, इसलिए सरकार फिजूलखर्ची रोके।
संगठन ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से कड़े और सख्त नियम एवं मानक तय करने की मांग की है। वेतन, मजदूरी व्यय को छोड़ मोटर व्हीकल, कार्यालय व्यय, भवन निर्माण, लघु कार्य व्यय, यात्रा भत्ता व्यय, यंत्र साज सामान व्यय, लघु कार्य जैसे मदों में विभागों को आवंटित बजट में कम से कम 50 फीसद की कटौती हो।
ऐसे भत्ते हों बंद
महासंघ ने अधिकारियों को मिल रही सरकारी टेलीफोन, मोबाइल फोन खर्च की सुविधा को वापस लेकर इनकी दोबारा से समीक्षा करने की भी मांग की है। अधिकारियों को सरकारी आवास पर दो हजार रुपये टेलीफोन खर्च की अदायगी कई साल से बिना स्पोटिंग बाउचर के की जा रही है। इसके साथ-साथ 700 रुपये मोबाइल भत्ता भी दिया जा रहा है। इस फिजूलखर्ची को रोका जाए।
- सेवाविस्तार, दोबारा रोजगार हो बंद।
- विभागीय गाडिय़ों को जनरल पूल में डाला जाए।
- बोर्डों, निगमों को विभागों के साथ संबद्ध किया जाए।
- विभिन्न बैंकों द्वारा पोषित प्रोजेक्टों के खर्च को भी एक साल तक लंबित करें।
- बिना खर्च किए पैसे को सरकार वापस ले।
- सरकार जन कल्याण और विकास योजनाओं पर फोकस करे।