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राकेश पठानिया ने वन विभाग मुख्यालय का दौरा, बोले- वनरक्षकों को मिलेंगे हथियार, बंदरों की समस्‍या का होगा निदान

Minister Rakesh Pathania बंदरों की समस्या से अब सरकार और प्रभावी तरीके से निपटेगी। किसानी से जुड़ी इस समस्या में हितधारकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 09:23 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 09:23 AM (IST)
राकेश पठानिया ने वन विभाग मुख्यालय का दौरा, बोले- वनरक्षकों को मिलेंगे हथियार, बंदरों की समस्‍या का होगा निदान
राकेश पठानिया ने वन विभाग मुख्यालय का दौरा, बोले- वनरक्षकों को मिलेंगे हथियार, बंदरों की समस्‍या का होगा निदान

शिमला, जेएनएन। बंदरों की समस्या से अब सरकार और प्रभावी तरीके से निपटेगी। किसानी से जुड़ी इस समस्या में हितधारकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। यह बात वनमंत्री राकेश पठानिया ने कही। उन्होंने सोमवार को प्रदेश वन मुख्यालय का दौरा किया और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।  उन्होंने कहा कि इस महकमे में टीम वर्क की भावना के साथ कार्य होगा। अधिकारी पूरे समर्पण के साथ विभाग को आगे ले जाने के लिए कार्य करेंगे।प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को प्रदूषण मुक्त वातावरण मिले, इसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए।

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इसके लिए पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों जैसे सौर उर्जा, हरित उर्जा के उपयोग आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। इस मौके पर पीसीसीएफ अजय कुमार ने विभाग की गतिविधियों की जानकारी दी। पीसीसीएफ वन्य प्राणी डॉ. सविता ने भी वन्य प्राणी प्रभाग के कार्यों के बारे में प्रस्तुति दी।

चेकडैम का होगा निर्माण

नदियों के कैचमेंट क्षेत्रों में चेकडैम इत्यादि जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। छोटे-छोटे चेकडैमों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे वर्षा का पानी अधिक समय तक जमीन में रहे व इसकी उत्पादकता को बढ़ाए। स्थानीय लोगों एवं किसानों को इस तरह की गतिविधियों से जोडऩे को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे।

वनरक्षकों को मिलेंगे हथियार

मंत्री के मुताबिक वनों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और ऐसेे में वन रक्षकों को हथियार उपलब्ध करवाना आवश्यक है। वन विभाग के कर्मचारियों को हथियार उपलब्ध करवाने की नीति में भी आवश्यक बदलाव किए जाएंगे। विभाग के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में कंट्रोल रूम बनाए जाएंगें, जिनके माध्यम से वनों में होने वाली विभिन्न गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।


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