शहीद सौरभ कालिया के भाई बोले- बेशक है मलाल, मगर जल्द कोरोना से उभरकर मनाएंगे जन्मदिन
Martyr Saurabh Kalia थोड़ी मायूसी है मगर दिल में एक उम्मीद है कि जल्द कोरोना से उभरते हुए भाई के जन्मदिन को बच्चों के बीच मनाएंगे।
पालमपुर, शारदा आनंद गौतम। इस बार भाई भाई सौरभ का नहीं मना पाए। पिछले 20 साल से भाई के जन्मदिन पर बच्चों के साथ मिलकर उनके लिए कार्यक्रम का आयोजन करते थे। मगर कोरोना के चलते इस बार यह आयोजन नहीं हो पाया। थोड़ी मायूसी है मगर दिल में एक उम्मीद है कि जल्द कोरोना से उभरते हुए भाई के जन्मदिन को बच्चों के बीच मनाएंगे। यह कहना था करगिल में सबसे पहले शहादत का जाम पीने वाले अमर शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के भाई वैभव कालिया का।
दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में वैभव कालिया ने बताया कि बीते 20 साल से हर साल डीएवी स्कूल पालमपुर में भाई सौरभ के जन्मदिन पर विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता रहा है। इस प्रदर्शनी में विभिन्न स्कूलों के बच्चे और बाल आश्रम से बच्चों को लाया जाता था। जो बच्चे प्रदर्शनी में प्रोजेक्ट्स बना कर लाते थे। उन्हें देख कर दूसरे बच्चों को भी प्रेरणा मिलती थी। परिवार के सभी सदस्य इस आयोजन से जुड़ कर बच्चों के बीच सौरभ के अक्श को देखते थे। अब सभी यह प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्द कोरोना का प्रकोप समाप्त हो।
अमर शहीद सौरभ कालिया का जन्म डॉ. नरेंद्र कुमार कालिया और विजय कालिया के घर 1976 को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पालमपुर में ही हुई और उसके बाद कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सौरभ ने भारतीय सेना को चुना। 1999 में करगिल युद्ध से पूर्व पाकिस्तानी फौज ने उन्हें उनकी गश्त टीम के साथ पकड़ कर अमानवीय यातनाएं दी। इन यातनाओं के चलते उन्हें और साथियों को इतना प्रताडि़त किया गया कि उन्होंने वतन पर जान न्योछावर कर दी मगर उनके आगे झुके नहीं।
शहीद सौरभ कालिया के आइमा स्थित घर पर उनके स्वजनों ने उनकी यादों को खूबसूरती से संजोया हुआ है। हर एक चीज जो सौरभ से जुड़ी थी उसे रखते हुए उन्हें याद करते हैं। हर साल हजारों लोग और युवा शहीद के स्मारक को देखने के लिए आते हैं।