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कई परंपराएं संजोये हैं अंतरराष्‍ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्‍सव मंडी, मंडी से शिवजी की आस्था का आधार

International Shivratri Festival Mandi अंतरराष्‍ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्‍सव मंडी कई महत्वपूर्ण परंपराएं हैं। मंडी शिवरात्रि का पर्व सात दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व में छोटी काशी के रूप में प्रसिद्ध मंडी जिले के 81 मंदिरों के 200 से अधिक देवी देवताओं की उपस्थिति रहती है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 07:34 AM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 07:34 AM (IST)
कई परंपराएं संजोये हैं अंतरराष्‍ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्‍सव मंडी, मंडी से शिवजी की आस्था का आधार
अंतरराष्‍ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्‍सव मंडी कई महत्वपूर्ण परंपराएं हैं।

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। अंतरराष्‍ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्‍सव मंडी कई महत्वपूर्ण परंपराएं हैं। मंडी शिवरात्रि का पर्व सात दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व में छोटी काशी के रूप में प्रसिद्ध मंडी जिले के 81 मंदिरों के 200 से अधिक देवी देवताओं की उपस्थिति रहती है। महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रह्मा के रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था। वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रह्मांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था। इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।

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वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्रि होती है, लेकिन फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है, इसलिए इसे शिवरात्रि  कहा जाता है। वास्तव में शिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानती है।

मंडी से शिवजी की आस्था का आधार

शिव भगवान को मंडी का अधिष्ठाता देव माना जाता रहा है। आधुनिक मंडी शहर की स्थापना बाबा भूतनाथ मंदिर के साथ ही हुई है। अंतराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोेत्सव की शुरुआत में भूतनाथ मंदिर में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भूतनाथ मंदिर की स्थापना मंडी नगर की स्थापना करने वाले राजा अजबर सेन के शासनकाल के दौरान की गई।

स्वयंभू शिवलिंग के प्रकट होने के बाद बना था मंदिर

आज मंडी में जहां पर भूतनाथ मंदिर बना हुआ है, वहां पर किसी जमाने में गायों के चरने के लिए चरागाह हुआ करती थी। वहां एक किसान गाय चराने आया करता था। उसने पाया कि उसकी गाय दूध नहीं दे रही जिस कारण उसने उसकी निगरानी शुरू कर दी। निगरानी के बाद उसने आश्चर्यजनक घटना देखी कि गाय जमीन के किसी खास स्थान पर जाकर दूध जमीन पर गिरा दे रही है। बात फैलने के बाद राजा अजबरसेन को घटना के बारे में जानकारी प्राप्त हुईं। इसी दौरान राजा को स्वप्न हो गया कि उस स्थान पर शिवलिंग है जिस कारण गाय वहां अपना दूध उस स्थान पर गिरा रही है। राजा ने चरागाह के उस स्थान की खुदाई करवायी तो स्वंयभू प्रकट हो गया। अजबर सेन ने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर दी। इसके बाद इस स्थान पर शिव भगवान का बहुत ही भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। राजा अपनी राजधानी पुरानी मंडी के बटोहली से ब्यास नदी के पास ले आए।


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