नूरपुर में आम के पेड़ों में बोर आने से बढ़ी बागवानों की उम्मीदें
नूरपुर में फलों के राजा आम के पेड़ों पर प्रचुर मात्रा में बोर आया है जिससे बागवानों को उम्मीद है कि यदि मौसम और परिस्थितियां अनुकूल रही तो दशहरी किस्म की आम की फसल का इस बार आफ इयर होने के बावजूद भी अच्छी पैदावार हो सकती है।
जेएनएन, अश्वनी शर्मा। उपमंडल नूरपुर के तहत इस बार फलों के राजा आम के पेड़ों पर प्रचुर मात्रा में बोर आया है जिससे बागवानों को उम्मीद है कि यदि मौसम और परिस्थितियां अनुकूल रही तो दशहरी किस्म की आम की फसल का इस बार आफ इयर होने के बावजूद भी अच्छी पैदावार हो सकती है।
क्षेत्र की यह एक प्रमुख फसल है जिससे हजारों छोटे बड़े बागवानों की आर्थिकी निर्भर रहती है लेकिन बोर से लेकर फल की सेटिंग होने तक आम में अनेक बीमारियां, आंधी, तूफान और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी फलों के राजा को अक्सर घेरती हैं। यदि बागवान समय समय पर आने वाली बीमारियों जैसे तेला रोग , गुच्छा रोग आदि को पूरी तरह रोकने में सफल रहे और मौसम भी अनुकूल रहा तो ही अच्छी पैदावार की उम्मीद की जा सकती है ।
क्या है तेला व गुच्छा रोग
आम के बोर में कुछ जगह गुच्छे बन जाते हैं और यदि इन गुच्छों का समय रहते उपचार न किया जाए तो वह बोर बेकार हो जाता है वहीं गर्म मौसम में बोर पर एक कीट जोरदार हमला करता है यह कीट पेड़ ,पत्तों और बोर का चूसकर तेल नुमा पदार्थ निकाल देता है जिससे फल कमजोर पड़कर सैट ही नहीं होता।
स्थानीय बागवान सुरेश पठानिया ने कहा कि आम क्षेत्र के बागबानों की एक प्रमुख फसल है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति निर्भर रहती है। आफ इयर होने के बावजूद पेड़ों पर बोर काफी मात्रा में आया है लेकिन अभी इसे अनेक रोगों और प्राकृतिक आपदाओं से भी गुजरना होगा ।
स्थानीय बागवान शेखर पठानिया क्षेत्र में आम के आम के पेड़ों पर फूल आने की प्रक्रिया चरम पर है वैसे तो इस बार फसल का आफ ईयर है आने वाले कुछ दिनों के बाद ही पता चल पाएगा कि फसल किस प्रकार की रहेगी।
बलदेव पठानिया ने कहा कि विगत बर्ष नूरपुर क्षेत्र कुछ पंचायतों में आम की तैयार फसल पर भारी ओलावृष्टि ने बहुत भारी नुकसान किया था आम की फसल को बीमारियों के साथ साथ प्राकृतिक आपदाओं के कठिन दौर से भी गुजरना पड़ता है।
राजन शर्माका कहना है कि नूरपुर क्षेत्र आम की पैदावार का एक प्रमुख हब है सरकार को भी संबंधित विभाग के जरिये फसल पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए ताकि अच्छी पैदावार हो सके। आम के पेड़ों पर बोर आने की प्रक्रिया चरम पर है ऐसे में बागवानों को तेला कीट के हमले और गुच्छा रोग से सावधान रहना होगा।
डॉक्टर गौरव चंदेल ने कहा कि कीट विज्ञान विशेषज्ञ जाच्छ तेला कीट के हमले से बचाव के लिए बागवान इमिडाक्लोपरीड दवाई का एक लीटर पानी मे आधा मिलीलीटर दवाई का घोल बनाकर छिड़काव करें । गुच्छा रोग से बचाव के लिए एक लीटर पानी मे 20 ग्राम हैग्जाकोनाजोल दवाई का घोल बनाकर छिड़काव करें ।