मंडी संसदीय सीट में भाजपा को मुख्यमंत्री और कांग्रेस को महंगाई से आस, जयराम ठाकुर का है गृह क्षेत्र
Mandi Seat By Election मंडी संसदीय उपचुनाव में जनता इतिहास दोहराएगी या नया जनादेश देगी इस पर सबकी नजर है। 1996 के 13 दिन को छोड़कर मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद हमेशा सत्ता पक्ष में ही बैठा है।
मंडी, हंसराज सैनी। Mandi By Election, मंडी संसदीय उपचुनाव में जनता इतिहास दोहराएगी या नया जनादेश देगी, इस पर सबकी नजर है। 1996 के 13 दिन को छोड़कर मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद हमेशा सत्ता पक्ष में ही बैठा है। क्षेत्र की जनता 1952 से लेकर 2019 तक सत्ता पक्ष के साथ खड़ी रही है। उपचुनाव में भाजपा को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व कांग्रेस को महंगाई से उम्मीद है। यह जयराम ठाकुर का गृह संसदीय क्षेत्र है।
भाजपा प्रत्याशी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने यहां करीब एक माह तक अपनी पूरी ताकत झोंक रखी। कोई ऐसा विधानसभा क्षेत्र नहीं होगा, जिसमें जयराम ठाकुर ने पांच से छह चुनावी सभा नहीं की हों। 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद वीरभद्र सिंह परिवार ने संसदीय क्षेत्र से पूरी तरह किनारा कर लिया था। उपचुनाव की घोषणा के बाद प्रतिभा सिंह ने यहां मोर्चा संभाला था।
प्रतिभा सिंह ने अपने पति पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समय में हुए विकास कार्यों के नाम पर जनता से वोट मांगे। वह दो बार इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अपने दोनों कार्यकाल की एक उपलब्धि भी जनता को नहीं बता पाई। कारगिल युद्ध को छोटा युद्ध बता पूर्व सैनिकों की नाराजगी मोल ले ली। चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने महंगाई व बेरोजगारी को हथियार बनाया है। कांग्रेस को फोरलेन प्रभावितों से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन प्रभावितों ने कोई तवज्जो नहीं दी।
इस संसदीय क्षेत्र में पिछले तीन चुनाव के आंकड़े भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में 17 से सिर्फ चार हलकों में बढ़त मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की झोली में मात्र तीन सीटें आई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से सुपड़ा साफ हो गया था। हालांकि इस बार भाजपा 2019 के चुनाव जैसे परिणाम की, जबकि कांग्रेस पिछड़े व दुर्गम क्षेत्रों से उम्मीद लगाए बैठी है।