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...तो मार्च में बहाल हो जाएगा मनाली-लेह मार्ग, अटल टनल रोहतांग ने कम की दूरियां और मुश्किलें

Manali Leh Road सर्दियों में कम बर्फबारी होने से इस बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे सभी क्षेत्र समय से पहले ही बहाल हो जाएंगे। अटल टनल ने लाहुलियों के कष्ट का निवारण कर दिया है जबकि बीआरओ की भी राहें आसान हो गई हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 02:33 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 02:33 PM (IST)
...तो मार्च में बहाल हो जाएगा मनाली-लेह मार्ग, अटल टनल रोहतांग ने कम की दूरियां और मुश्किलें
इस बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे सभी क्षेत्र समय से पहले ही बहाल हो जाएंगे।

मनाली, जसवंत ठाकुर। सर्दियों में कम बर्फबारी होने से इस बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे सभी क्षेत्र समय से पहले ही बहाल हो जाएंगे। अटल टनल ने लाहुलियों के कष्ट का निवारण कर दिया है, जबकि बीआरओ की भी राहें आसान हो गई हैं। 476 किलोमीटर लंबा मनाली-लेह मार्ग अब टनल बनने के बाद 430 किमी ही शेष रह गया है। बीआरओ ने मनाली से 125 किमी दूर जिंगजिंगबार तक सड़क बहाल कर दी है। 430 किमी लंबे मनाली लेह को बीआरओ की दो परियोजनाएं देखती हैं। मनाली से सरचू तक दीपक परियोजना, जबकि लेह से सरचू तक हिमांक परियोजना सड़क की देखरेख के साथ बहाली का कार्य करती है।

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अटल टनल बनने से इस बार 70 आरसीसी की राहें बहुत आसान हो गई हैं। बीआरओ 70 आरसीसी ने इस बार 182 किलोमीटर लंबे मनाली-सरचू मार्ग पर करीब 122 किलोमीटर सड़क बहाल रखी है। अब मात्र 60 किलोमीटर सड़क बहाली ही शेष है।

दूसरी ओर लेह से भी हिमांक ने सड़क बहाली के कार्य जारी रखा हुआ है। बीआरओ की माने तो मौसम साफ रहने की सूरत में पहली बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे क्षेत्रों को मार्च में ही बहाल दिया जाएगा। बीआरओ के एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि फरवरी महीने में विधिवत पूजा अर्चना कर मार्ग की बहाली शुरू कर दी जाएगी। लेकिन बीआरओ ने मनाली लेह, तांदी संसारी, ग्राम्फू समदो मार्ग बहाली साथ में ही जारी रखी है।

आसान हुई है कारगिल पहुंचने की राहें

बीआरओ ने 15 हजार फीट की ऊंचाई पर शिंकुला दर्रे से वैकल्पिक सड़क के जरिये कारगिल को मनाली से जोड़ दिया है, जिससे भारतीय सेना को पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहुंचना आसान हो गया है। इस सड़क के बनने से कारगिल बॉर्डर तक पहुंचने के लिए अब सेना को लेह होकर नहीं जाना पड़ता है। साथ ही अब मनाली से कारगिल की दूरी भी 250 किलोमीटर कम हो गई है। पहले लेह होते हुए मनाली से कारगिल की दूरी 750 किमी थी। दारचा-शिंकुला-पदुम-कारगिल मार्ग के दोनों छोरों जुड़ते ही बारालाचा, तंगलंगला और लाचुंगला दर्रों को पार किए बगैर शिंकुला दर्रा होकर जांस्कर से कारगिल पहुंच सकते हैं।

कुंजुम दर्रे में पहुंच चुका है बीआरओ

बीआरओ की 108 आरसीसी चीन सीमा से सट्टे समदो ग्रांफू मार्ग को बहाल करने में जुट गई है। हालांकि बीआरओ दशकों से स्पीति घाटी को किन्नौर शिमला होते हुए जोड़े रखती है। लेकिन इस बार लोसर से आगे कुंजुम दर्रे तक सड़क बहाल कर दी है। हालांकि लोसर से कोकसर के बीच कोई आबादी नहीं है। लेकिन अगर बीआरओ कुंजुम से कोकसर के बीच सड़क बहाल कर देती है तो इस बार लाहुल घाटी भी स्पीति से जल्‍द ही जुड़ जाएगी।


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