हिमाचल शिक्षा बोर्ड का कारनामा, दसवीं के सर्टिफिकेट में छात्रा को बना दिया छात्र, और भी गलतियों की भरमार
HPBOSE Marksheet हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट में गलतियों की भरमार ला दी है।
धर्मशाला, मुनीष गारिया। कोरोना संकट के दौरान देश में सबसे पहले बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम घोषित करने का तमगा लगाए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट में गलतियों की भरमार ला दी है। प्रमाणपत्रों में एक छात्रा को छात्र ही बना दिया है। इसके अलावा उनके माता-पिता का नाम भी गलत दर्ज किया गया है। ये गलतियां सिर्फ एक विद्यार्थी के प्रमाणपत्र में नहीं हुई हैं, बल्कि कई छात्रों के साथ ऐसा हुआ है।
जिला हमीरपुर के सलौणी स्थित एक निजी स्कूल में दसवीं कक्षा छात्रों के प्रमाणपत्र आए। प्रमाणपत्र जब बच्चों के पास पहुंचे तो पता चला कि इसी स्कूल में करीब 10 बच्चों के माता-पिता के नाम व उनके लिंग गलत दर्ज कर दिए हैं।
बड़ी बात तो ये है कि इनमें एक छात्रा ऐसी भी है, जिसकी परीक्षा भी गलत श्रेणी में हुई थी। परीक्षा के दौरान ही लड़की का रोल नंबर लड़कों की सीरीज में डाल दिया था। जिस कारण उक्त लड़की को लड़कों की सीरीज में बैठकर ही पेपर देना पड़ा था। अब बच्चों की जमा एक कक्षा के एडमिशन हो गई है और स्कूल प्रबंधन की ओर से उनके प्रमाणपत्र मांगे जा रहे हैं तो बच्चों को गलत जानकारी वाले सर्किफिकेट ही स्कूल में देने पड़ रहे हैं।
यहां बता दें कि दसवीं का प्रमाणपत्र सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसी प्रमाणपत्र में बच्चे की जन्मतिथि दर्ज होती है। आजीवन व्यक्ति को ये प्रमाणपत्र हर सरकारी व गैर सरकारी काम के लिए देना होता है। दसवीं के प्रमाणपत्र के आधार पर ही वोटर कार्ड बनाया जाता है। वोटर कार्ड में भी वही जानकारी दर्ज की जाती है जो प्रमाणपत्र में होती है। अगर एक ही स्कूल में इतने अधिक बच्चों के प्रमाणपत्रों में गलतियां हैं तो प्रदेश भर में क्या स्थिति होगी।
निशुल्क दुरुस्त होगी गलती, जांच भी होगी : अध्यक्ष
उधर स्कूल शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी ने बताया कि बच्चों की जानकारी स्कूल प्रशासन ही दर्ज करके भेजता है। उसी के आधार पर सर्किफिकेट तैयार किए जाते हैं। जिन बच्चों के सर्किफिकेटों में गलतियां हैं, वे स्कूल के माध्यम से अपने सर्किफिकेट बोर्ड में भेज दें, निशुल्क गलती सुधार दी जाएगी। यह भी पता लगाया जाएगा कि गलती स्कूल स्तर पर हुई है या बोर्ड कार्यालय के स्तर पर गलत जानकारी दर्ज की गई है।