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सर्दियों में कम हिमपात व बढ़ता तापमान छीन रहा पहाड़ से बर्फ

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ूी स्थानों पर बर्फ के क्षेत्र में आ रही कमी ने सभी की चिंता को बढ़ा दिया है। इसका कारण सर्दियों में यानी दिसंबर से फरवरी में कम बर्फबारी व पृथ्वी का बढ़ता तापमान है।

By Vijay BhushanEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 10:18 PM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 10:18 PM (IST)
सर्दियों में कम हिमपात व बढ़ता तापमान छीन रहा पहाड़ से बर्फ
हिमाचल में ग्लोबल वार्मिंग के असर से पिछल रहे ग्लेशियर। जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर बर्फ के क्षेत्र में आ रही कमी ने सभी की चिंता को बढ़ा दिया है। इसका कारण सर्दियों में यानी दिसंबर से फरवरी में कम बर्फबारी व पृथ्वी का बढ़ता तापमान है। हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के जलवायु परिवर्तन केंद्र के शोध व आकलन में यह बात सामने आई कि हिम आवरण के क्षेत्र से बर्फ चार माह यानी मई से अगस्त तक करीब दस से 52 फीसद तक पिघल रही है। बर्फ के क्षेत्र में कमी के कारण प्रदेश की नदियों में पानी की कमी आएगी। इससे भविष्य में जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन कम होगा। यही नहीं हिमाचल सहित अन्य राज्यों पंजाब, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान में पेयजल के साथ ङ्क्षसचाई के लिए पानी की कमी होगी।

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ग्लोबल वार्मिंग के कारण 100 वर्ष के दौरान पृथ्वी की औसत सतह के तापमान में 0.8 डिग्री सेंटीग्रेट की वृद्धि हुई है। यह हिमालय पर्वत और ग्लेशियर के लिए खतरे की घंटी है। विशेषज्ञों की मानें तो पहाड़ों का अविज्ञानिक तरीके से हो रहा कटाव, पेड़ों का कटान, कंक्रिट के बढ़ते जंगल, उद्योग, कार्बन डाइआक्साइड व अन्य गैसों के कारण ग्लोबल वार्मिंग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में पौधारोपण और विज्ञानिक आधार पर पहाडों में विकास और उद्योगों को स्थापित कर इसे रोका जा सकता है।

दूरगामी परिणाम और कारण

-ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर लगातार पिघल रहे।

-पृथ्वी के तामपान में लगातार हो रही वृद्धि।

-कम व समय पर हिमपात न होने से बर्फ जल्दी पिघल रही।

-बर्फ के क्षेत्र के घटने से नदियों में पानी की कमी से विद्युत उत्पादन प्रभाावित होगा। पेयजल व सिचांई योजनाएं प्रभावित होंगी।

-भूजल स्तर में भी गिरावट आएगी।

-प्राकृतिक आपदाओं का कारण ग्लेशियर बनेंगे।

दिसंबर से फरवरी तक दर्ज हिमपात (सेंटीमीटर में)

सीजन वर्ष,बर्फ

2011-12,119

2012-13,93

2013-14,76

2014-15,83

2015-16,25

2016-17,35

2017-18,106

2018-19,125

2019-20,196

2020-21,35

100 साल में तापमान में वृद्धि की दर (फीसद में)

स्थान,सर्दियां,मानसून,वार्षिक

शिमला,2.6,2.8,2.4

श्रीनगर,1.1,0.2,0.5

लेह,1.3,1.0,1.7

उत्तर पश्चिम हिमालय,1.7,0.4,1.1

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ग्लोबल वार्मिंग का 90 फीसद कारण मनुष्य है। ग्रीन हाउस गैस विशेष रूप से कार्बन डाइआक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन और नाइट्रस आक्साइड में लगातार वृद्धि हो रही है। शोध में सबसे अधिक प्रभाव शिमला के तापमान में 2.4 से 2.8 डिग्री सेंटीगे्रट की वृद्धि देखने को मिली है।

-एसएस रंधावा, प्रधान विज्ञानी, जलवायु परिवर्तन केंद्र, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद।

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बड़े बांध बनाकर प्रकृति को खतरे में डाला जा रहा है। पर्यावरण में कार्बन डाइआक्साइड व मीथेन की मात्रा बढ़़ रही है। कुछ वर्ष से गर्मी के दौरान गर्मी नहीं और सर्दी के मौसम में कम सर्दी और बेमौसमी बरसात हो रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं।

-कुलभूषण उपमन्यू, पर्यावरणविद् एवं अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान।


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