150 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही यह घास, किसान हो रहे मालामाल Kangra News
लैमन ग्रास यानी नींबू घास की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। इसका असर कांगड़ा जिले के उपमंडल नूरपुर की खेल पंचायत के किसानों में भी दिख रहा है।
जसूर, अश्वनी शर्मा। लैमन ग्रास यानी नींबू घास की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। इसका असर कांगड़ा जिले के उपमंडल नूरपुर की खेल पंचायत के किसानों में भी दिख रहा है। पंचायत के गांव बंड करड़ियां के 16 किसानों के जीवन में लैमन ग्रास हरियाली लाई है। अब बंजर भूमि भी किसानों के लिए सोना उगल रही है। बड़ी बात यह है कि इस खेती को जंगली जानवरों, बंदरों और बेसहारा पशुओं से भी कोई खतरा नहीं है। पूरी तरह से जैविक खेती की उक्त ग्रास को एक साल में चार बार काटा जा सकता है। हरी घास 50 रुपये प्रति किलोग्राम व सूखी घास 150 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है।
इस घास की सूखी और हरी पत्ती किसानों को बेहतर दाम भी उपलब्ध करवा रही है। पंचायत के करीब सोलह किसान हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के मार्गदर्शन में सोसायटी बनाकर उक्त खेती को अंजाम दे रहे हैं। अब करीब ढाई सौ कनाल बंजर भूमि में लैमन ग्रास की खेती लहलहा रही है। बड़ी बात यह है कि ढलानदार भूमि बरसात के दौरान होने वाले भूस्खलन से बच रही है।
क्या है फायदा
किसानों के समूह ने संबंधित संस्थान के सहयोग से लैमन ग्रास से सुगंधित तेल निकालने के लिए बकायदा संयंत्र भी लगाया है। साथ ही हरी और सूखी घास को काटकर इसकी पत्तियां भी बेची जा रही हैं और इनका इस्तेमाल चाय में प्रयोग होता है व इसे लैमन टी कहा जाता है। लैमन ग्रास की इस चाय का अलग ही जायका है। साथ ही इससे विटामिन सी की कमी भी पूरी होती है। लैमन ग्रास की हरी पत्ती पचास और सूखी करीब डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो बिक रही है। यदि उक्त खेती करने वालों को जैविक खेती का प्रमाणपत्र मिल जाए तो दाम चार गुना मिल सकते हैं।
लैमन ग्रास के लिए न तो सिंचाई की जरूरत होती है और न ही इसमें रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है। नींबू घास से किसानों की आमदनी दोगुना से चार गुना हो सकती है। सरकार किसानों को जैविक खेती का प्रमाणपत्र जारी करे। राष्ट्रस्तर पर उक्त उत्पादों की बहुत ज्यादा मांग है। प्रमाणपत्र मिलने से किसानों को उक्त उत्पादों के चार गुना दाम मिल सकते हैं।-गणोश पराशर, सचिव अमीचंद मेमोरियल सेल हेल्प सोसायटी बंड करड़िया।
नींबू घास की खेती किसानों की दशा और दिशा को बेहतर बनाने के लिए बहुत ही कारगर है। जैविक खेती के प्रमाणपत्र को जारी करने के लिए सरकार ने एजेंसी गठित की है। किसान संबंधित एजेंसी से खेती का मुआयना करवा कर जैविक खेती का प्रमाणपत्र हासिल कर सकते हैं। -संजय कुमार, निदेशक आइएचबीटी पालमपुर।