चंडीगढ़-मनाली हाईवे पर बरसती हैं चट्टानें, छड़ोल से स्वारघाट तक सफर मुश्किल, ये हैं खतरनाक स्पाट
Himachal Landslide Spots बिलासपुर में पहाड़ों के दरकने की घटनाएं आम नहीं हैं लेकिन कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां पर अकसर चट्टानें दरक कर सड़क पर पहुंच जाती हैं और हादसों को न्योता देती हैं। करीब तीन वर्ष पूर्व उपमंडल घुमारवीं में पहाड़ों के दरकने की असाधारण घटना हुई है
बिलासपुर, रजनीश महाजन। जिला बिलासपुर में पहाड़ों के दरकने की घटनाएं आम नहीं हैं, लेकिन कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां पर अकसर चट्टानें दरक कर सड़क पर पहुंच जाती हैं और हादसों को न्योता देती हैं। करीब तीन वर्ष पूर्व उपमंडल घुमारवीं में पहाड़ों के दरकने की असाधारण घटना हुई है, जिसमें करीब दस परिवारों के मकान व भूमि जमींदोज हो गई थी। हालांकि एक छोटी बेटी की होशियारी से सब लोगों की जान बच गई थी, जिसने अपने स्वजन को जमीन के खिसकने की जानकारी दी थी। बहरहाल उसके बाद वहां पर कोई अन्य घटना पहाड़ी दरकने की नहीं हुई है।
इसके अलावा राष्ट्रीय उच्च मार्ग चंडीगढ़-मनाली पर छड़ोल से स्वारघाट मार्ग पर पत्थर गिरना आम बात है। हालांकि इस मार्ग पर इन पत्थरों को खिसकने से रोक लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग कोई ठोस नीति नहीं बना पाया है, लेकिन विभाग ने केवल सूचना बोर्ड लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। सूत्रों की मानें तो चट्टानें खिसकने पर विशेषज्ञों ने दौरा भी किया था, लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
वाहन पर चट्टान गिरने से गई हैैं कई जानें
राष्ट्रीय उच्च मार्ग चंडीगढ़-मनाली पर छड़ोल, बनेर, गंभरोला, पंजपीरी के पास बरसात में भूस्खलन और चट्टानों के गिरने की घटना होती रहती है। यहां पर चार वर्ष में चट्टानों के गिरने से कई हादसे हो चुके हैं जिनमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है। करीब चार वर्ष पूर्व एक कार पर चट्टान गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दो लोग सुरक्षित बच गए थे। इसके बाद तीन वर्ष पूर्व भी एक ट्रक पर चट्टान गिर गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके अलावा एक आइसक्रीम की पिकअप भी दब गई थी जिसके चालक की मृत्यु हो गई थी।
चट्टानें गिरने का यह है मुख्य कारण
बिलासपुर जिला में चट्टानों के गिरने का मुख्य कारण पानी की निकासी सही नहीं होना भी है। हालांकि चट्टानों के गिरने की सूचना देने के लिए विभिन्न स्थानों पर चेतावनी सूचना बोर्ड लगाए हैं। जिला में चट्टानों के गिरने को रोकने से लेकर अभी तक कोई नीति नहीं बन पाई है, लेकिन अब प्रशासन ने चट्टानों के गिरने के कारण लगने वाले जाम से छुटकारा पाने के लिए जगह-जगह पर जेसीबी तैनात की हैं, ताकि रास्तों को खोलने में अधिक समय न लग सके। वहीं करयालग में करीब तीन वर्ष पूर्व लोगों के मकान जमींदोज हो गए थे। इसके बाद सरकार ने लोगों के रहने के लिए जमीन प्रदान की है।
क्या कहते हैं उपायुक्त
उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने कहा जिला बिलासपुर में चट्टानों के गिरने की घटना से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए जल्द ही डायनामिक साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। इससे किसी भी घटना की जानकारी वाहन चालकों को पहले से ही मिल जाएगी। योजना को जल्द अमलीजामा पहनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
जिला में पांच बड़े हादसाग्रस्त क्षेत्र
- चंडीगढ़-मनाली हाईवे पर कल्लर से जामली तक पहाड़ से भूस्खलन का खतरा।
- चंडीगढ़ मनाली मार्ग पर छड़ोल से बनेर और पंजपिरी तक खतरा।
- स्वारघाट व बिलासपुर के मध्य पंजपिरी व गंभरोला में पत्थर व भूमि खिसकने का इतिहास।
- घुमारवीं के कसारू व करयालग में जमीन धंसने का इतिहास।
- बिलासपुर-शिमला एनएच पर बंदला व नौणी क्षेत्र के मध्य पहाड़ से पत्थर गिरने का खतरा।