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देव परंपरा पर बंदिशें लगाने से देवता नाराज, उपायुक्त कार्यालय कुल्लू पहुंचे शैला ब्रह्मा

Kullu Devta Tradition कोरोना महामारी के कारण देव कारज पर लगी बंदिशों से नाराज शैला देवता ब्रह्मा रायसन सोमवार को उपायुक्त कुल्लू के कार्यालय पहुंचे। जहां देवता ने नाराजगी जाहिर की और देवताओं के आयोजन पर लगाई बंदिशें तुरंत प्रभाव से हटाने को कहा।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 03:26 PM (IST)
देव कारज पर लगी बंदिशों से नाराज शैला देवता ब्रह्मा रायसन सोमवार को उपायुक्त कुल्लू के कार्यालय पहुंचे।

कुल्लू, संवाद सहयोगी। Kullu Devta Tradition, कोरोना महामारी के कारण देव कारज पर लगी बंदिशों से नाराज शैला देवता ब्रह्मा रायसन सोमवार को उपायुक्त कुल्लू के कार्यालय पहुंचे। जहां देवता ने नाराजगी जाहिर की और देवताओं के आयोजन पर लगाई बंदिशें तुरंत प्रभाव से हटाने को कहा। करीब एक घंटे तक देवता उपायुक्त कार्यालय के बाहर रहे। इस दौरान देवता उपायुक्त कार्यालय के भीतर प्रतीक्षा कक्ष में जा पहुंचे।

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देवता के गूर को इस दौरान देव खेल आई और कहा कि देवताओं के लिए सरकार बंदिशें लगा रही है जो ठीक नहीं है। उन्होंने कहा ढालपुर में कुष्टु काहिका का आयोजन किया जाए। इस दौरान एसडीएम कुल्लू प्रशासन की ओर से उपस्थित हुए और देवलुओं के साथ बात की।

देवता ने इस दौरान प्रशासन की ओर से बंदिशें नहीं लगाने को कहा और यह भी कहा कि बीमारी पर देवता स्वयं नियंत्रण पाएंगे। काहिका में सभी देवताओं के निशान पहुंचते हैं। यह शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया मानी जाती है।

क्या है काहिका

काहिका को नरभेद यज्ञ भी कहा जाता है। किसी भी बुराई का अंत करने के लिए काहिका का आयोजन किया जाता है। इसके लिए उचित उपाय ढूंढना काहिका कहलाता है। आदि, दैवीय, भौतिक हो या आध्यात्मिक हो, जिसमें यह देखा जाएगा कि हम अपने संस्कारों को कैसे सरंस्कारित कर पाते हैं। बशर्ते किसी दूसरे को कष्ट न देते हों। इसे नरभेद यज्ञ भी कहा जाता है। काहिका के बाद क्षेत्र में सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी दिया जाता है।

एसडीएम कुल्लू डा. अमित गुलेरिया का कहना है आज देवता कारकून सहित उपायुक्त कार्यालय में आए थे। इस दौरान उन्होंने कुछ मांगे हमारे समक्ष रखी और इसमें सरकार के दिशा निर्देश अनुसार मंदिरों में पूजा अर्चना कर सकते हैं। इसके अलावा दशहरा उत्सव को लेकर देवता के स्थान को स्वयं देवता चिंहिंत करेंगे। इसमें प्रशासन पूरा सहयोग करेगा।

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