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President Himachal Visit : जानिए... विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने क्यों कहा कि हिमाचल में सरकार की कोई पार्टी नहीं रही

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल ने विकास की 50 साल की यात्रा में कई आयाम स्थापित किए हैं। इस दौरान कई पड़ाव आए। प्रदेश में ऐसी परंपरा बनी कि सरकार की कोई पार्टी नहीं रही। हालांकि पार्टी की सरकारें रही।

By Virender KumarEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 09:45 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 09:45 PM (IST)
President Himachal Visit : जानिए... विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने क्यों कहा कि हिमाचल में सरकार की कोई पार्टी नहीं रही
विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल ने विकास की 50 साल की यात्रा में कई आयाम स्थापित किए हैं।

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल ने विकास की 50 साल की यात्रा में कई आयाम स्थापित किए हैं। इस दौरान कई पड़ाव आए। प्रदेश में ऐसी परंपरा बनी कि सरकार की कोई पार्टी नहीं रही। हालांकि पार्टी की सरकारें रही। सरकारों ने अंत्योदय की भावना के साथ कार्य किया। जो भी विधायक रहे, उन सबने प्रदेश के सर्वांगीण विकास में भूमिका निभाई। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय डा. वाइएस परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह सहित पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल ने बड़ा योगदान दिया है। हम प्रदेश को और आगे ले जाना चाहते हैं।

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विधानसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रपति और अन्य का स्वागत करने के बाद अपने अभिभाषण से प्रदेश विधानसभा की शोभा बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। विधानसभा के समृद्ध और गौरवशाली इतिहास का भी वर्णन किया। हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की स्वर्णिम जयंती वर्ष के अवसर पर प्रदेश की 13वीं विधानसभा के सदस्यों के बीच राष्ट्रपति का मौजूद होना हिमाचल प्रदेश के लिए अत्यन्त गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि विधानसभा भवन एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे मिस्टर डब्ल्यू जार्ज ने डिजाइन किया था।

ऐतिहासिक है यह भवन

इस अमूल्य धरोहर का निर्माण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की ओर से ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में केंद्रीय विधान मंडल की बैठकों को आयोजित करने के लिए किया गया था। इसका उद्घाटन 27 अगस्त, 1925 को वायसराय लार्ड रीडिंग ने किया था। इसी सदन में वर्ष 1925 में वि_ल भाई पटेल ने स्वराज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में ब्रिटिश नामिनी को दो मत से पराजित कर सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के प्रथम भारतीय प्रेजिडेंट बनने का श्रेय प्राप्त किया था। विठ्ठल भाई पटेल 1925 से 1930 तक प्रेजिडेंट रहे। उन्होंने विधायिका के कामकाज में स्वस्थ परंपराओं की स्थापना की।

ये कानून किए पारित

आजादी के बाद डा. वाइएस परमार हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने। उनके नेतृत्व में इसी सदन में कई महत्वपूर्ण, प्रगतिशील और सामाजिक-आर्थिक कानून पारित किए गए।

अब तक पारित किए हैं 1339 विधेयक

हिमाचल प्रदेश माता-पिता और आश्रित भरण-पोषण विधेयक, 2001 पारित करने वाला देश का पहला राज्य बना। इस सभा की ओर से अगस्त, 2021 तक कुल 1339 विधेयक पारित किए जा चुके हैं। आजादी के बाद कौंसिल चैंबल भवन में कई उच्च संस्थान कार्यरत रहे। इनमें देश के विभाजन के बाद तत्कालीन पंजाब विधानसभा, सी श्रेणी राज्य हिमाचल प्रदेश की विधानसभा, हिमाचल प्रदेश राज्य सिविल सचिवालय तथा आल इंडिया रेडियो शामिल हैं। 1956 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा को हटाने के बाद पहली अक्टूबर, 1963 को इसके पुन: अस्तित्व में आने पर सभा का पहला सत्र कौंसिल चैंबर में आयोजित हुआ। आज से 100 वर्ष पूर्व 1921 में पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन भी शिमला में आयोजित किया गया था।

गरिमा रही बरकरार

परमार ने कहा कि सदन ने ब्रिटिश काल से स्थापित गरिमा और मर्यादा को पूरी तरह बनाए रखा है। 25 दिसंबर, 2006 को धर्मशाला स्थित तपोवन में विधानसभा के लिए नए भवन का उद्घाटन किया गया। 26 दिसंबर, 2006 से प्रतिवर्ष प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आयोजन इसी भवन में किया जा रहा है।

पेपरलेस विधानसभा

चार अगस्त, 2014 को ई-विधान प्रणाली के लागू होने के फलस्वरूप प्रदेश विधानसभा को देश की पहली पेपरलेस विधानसभा होने का गौरव प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करते हुए विधायकों के लिए ई-निर्वाचन क्षेत्र प्रबंधन, ई-समिति, ई-डायरी व मोबाइल एप जैसी सुविधाएं प्रदान की हैं।


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