जानिए क्यों, 'मन की बातÓ में मणिपुर का नाम आने पर गदगद हुए सीएसआइआर के विज्ञानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में रविवार को सेब की खेती के लिए मणिपुर के उखरूल जिले के किसानों के प्रयासों की सराहना करने पर सीएसआइआर आइएचबीटी (हिमालय जैव संपदा प्रोद्योगिकी संस्थान) पालमपुर में खुशी की लहर है।
पालमपुर, संवाद सहयोगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में रविवार को सेब की खेती के लिए मणिपुर के उखरूल जिले के किसानों के प्रयासों की सराहना करने पर सीएसआइआर आइएचबीटी (हिमालय जैव संपदा प्रोद्योगिकी संस्थान) पालमपुर में खुशी की लहर है। पूर्वोत्तर राज्यों में सेब की खेती पर सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर की पहल रही है।
सीएसआइआर-आइएचबीटी ने पूर्वोत्तर राज्यों में सेब की खेती शुरू करने के लिए परियोजना की संकल्पना करके संस्थान ने एनईआरसीओआरएमपी (नरकोर्म) संस्था के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके मणिपुर, मेघालय, ङ्क्षमजोरम और अरुणाचल प्रदेश में सेब की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 40,000 पौधों की आपूर्ति की थी। सीएसआइआर-आइएचबीटी के निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि संस्थान के विज्ञानियों ने टिश्यू कल्चर आधारित वायरस परीक्षण से सेब रूट स्टाक तकनीक विकसित की है। इसका उपयोग सेब की किस्मों को ग्राफ्ट करने के लिए किया जा रहा है। कुछ उद्यमियों के साथ सामग्री हस्तांतरण समझौते किए गए जो रूट स्टाक को बढ़ावा देने के साथ सेब की किस्मों को ग्राफ्ट भी कर रहे हैं। इन किस्मों को संस्थान की ओर से मणिपुर और उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों में लगाया जाता रहा है।
गौरतलब है कि मणिपुर राज्य में सेब के पौधे संस्थान की ओर से उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं मणिपुर के किसानों को खेती के लिए संस्थान में प्रशिक्षण भी दिया गया है। संस्थान इस परियोजना की पूरी गतिविधि श्रृंखला में पूरी तरह से शामिल रहा है। इसमें परियोजना की अवधारणा, रोपण सामग्री की आपूर्ति, प्रशिक्षण, मार्गदर्शन संस्थान कर रहा है।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री की ओर से मन की बात कार्यक्रम में सेब का उल्लेख होने के पीछे संस्थान के सराहनीय प्रयास रहे हैं।