जानिए क्या है नादौन के तरेटी गांव का भूमि विवाद, जिसने पेश की मिसाल
हमीरपुर जिला के उपमंडल नादौन के तहत मण पंचायत के गांव तरेटी का भूमि विवाद मिसाल बना है। अदालतों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले मामलों से तंग आ चुके लोगों के लिए यह मामला न केवल आशा की किरण बना है बल्कि गाइडलाइन का काम भी करेगा।
नादौन, संवाद सहयोगी। हमीरपुर जिला के उपमंडल नादौन के तहत मण पंचायत के गांव तरेटी का भूमि विवाद मिसाल बना है। अदालतों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले मामलों से तंग आ चुके लोगों के लिए यह मामला न केवल आशा की किरण बना है, बल्कि गाइडलाइन का काम भी करेगा। हाईकोर्ट ने नादौन के नायब तहसीलदार को छह माह में मामले की सुनवाई कर नरेश कुमार को न्याय देने का आदेश दिया।
तरेटी गांव के नरेश कुमार की माता ने खसरा नंबर 239 में छह कनाल एक मरला जमीन वर्ष 1994 में खरीदी थी। इस भूमि के हिस्सेदार टिल्लू खास गांव के दिल्ली में बैंक में नौकरी करने वाले नरेश कुमार पुत्र ज्ञान चंद का नाम राजस्व रिकार्ड से उनकी गैर मौजूदगी में हटा दिया था। उन्होंने दीवानी मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और इसकी पैरवी स्वयं की। औपचारिकताएं पूरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन बाद सुनवाई शुरू कर दी। दलीलें सुनने के बाद 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट शिमला को मामले की सुनवाई मेरिट के आधार पर करने का आदेश दिया। नरेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की और मामले की शीघ्र सुनवाई की दलील दी। इसे हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 14 दिसंबर को नायब तहसीलदार नादौन को मामले की सुनवाई छह माह में पूरी कर नरेश कुमार को न्याय देने का आदेश जारी किया। नायब तहसीलदार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश आए हैैं और मामले की छानबीन की जा रही है।
मैैं दोस्तों से मामले को लेकर सलाह लेता था तो वे मेरा मजाक उड़ाते थे। वे कहते थे कि दीवानी और जमीन से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में दर्ज नहीं हो सकता है।
-नरेश कुमार, निवासी तरेटी गांव