बारिश के पूर्वानुमान के बावजूद आखिर क्यों नहीं बरस रहे बादल, क्या फेल हो गए रडार, पढ़ें पूरा मामला
Himachal Weather जिला शिमला के पर्यटन स्थल कुफरी में पिछले साल दिसंबर में डॉप्लर वेदर रडार लगा था। उसके बाद प्रदेश में मौसम की भविष्यवाणी धोखा दे रही है। हालांकि विभाग का मानना है कि ऐसा पश्चिमी विक्षोभ के पूरी तरह सक्रिय नहीं होने से हो रहा है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Weather, जिला शिमला के पर्यटन स्थल कुफरी में पिछले साल दिसंबर में डॉप्लर वेदर रडार लगा था। उसके बाद प्रदेश में मौसम की भविष्यवाणी धोखा दे रही है। हालांकि विभाग का मानना है कि ऐसा पश्चिमी विक्षोभ के पूरी तरह सक्रिय नहीं होने से हो रहा है। यह रडार तीन से छह घंटे के भीतर बारिश या ओलावृष्टि होने की तुरंत जानकारी संबंधित जिला प्रशासन को देने में सक्षम है, ताकि संबंधित क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई नुकसान न हो। कुफरी में स्थापित डॉप्लर वेदर रडार 100 किलोमीटर क्षेत्र में प्रभावी है। शिमला व सोलन जिला पूरी तहर से कवर हो रहे हैं और कुल्लू, बिलासपुर, मंडी, किन्नौर, सिरमौर, हमीरपुर जिलों की भी मौसम संबंधी बदलाव की जानकारी प्राप्त हो सकती है।
बैम्लोई स्थित मौसम केंद्र पंजाब के पटियाला, उत्तराखंड के मुक्तेश्वर मौसम रडार पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त सेटेलाइट से डाटा लेकर रोजाना मौसम संबंधी जानकारी दी जाती है। पटियाला स्थित रडार की रेंज 250 किलोमीटर है और मुक्तेश्वर रडार की क्षमता 200 किलोमीटर है। प्रदेश में स्थित मौसम केंद्र के पास मौसम की जानकारी एकत्र करने वाले 16 ऑब्जर्वर यंत्र, 100 वर्षा मापी यंत्र, 23 स्वचालित मौसम यंत्र हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
निदेशक मौसम विज्ञान केंद्र शिमला डा. मनमोहन सिंह ने कहा यह कहना गलत होगा कि कुफरी स्थित डॉप्लर वेदर रडार फेल हो गया है। इस केंद्र से अगले तीन घंटों के दौरान एक सौ किलोमीटर के दायरे में बारिश और ओलावृष्टि की जानकारी दी जा सकती है। जहां तक इस बार मौसम के अनुसार बारिश नहीं होने का कारण है तो इसमें रडार का कोई दोष नहीं है। पीले रंग से जिलों को दिखाने का मतलब यलो अलर्ट नहीं होता है। इसका अभिप्राय महज एडवाइजरी है।