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कसौली गोलीकांड: 12 पुलिस कर्मियों की सजा नहीं हुई माफ पर डीजीपी ने दी कुछ राहत, पढ़ें पूरा मामला

Kasauli Gun Shot Case सोलन जिला के कसौली में पहली मई 2018 को हुए गोलीकांड की विभागीय जांच में दोषी पाए हिमाचल पुलिस के 12 कर्मचारियों की सजा (कठोर दंड) माफ नहीं हुई है लेकिन इनकी सजा तीन साल कम जरूर हुई है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 08:48 AM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 08:48 AM (IST)
कसौली गोलीकांड: 12 पुलिस कर्मियों की सजा नहीं हुई माफ पर डीजीपी ने दी कुछ राहत, पढ़ें पूरा मामला
कसौली गोलीकांड में दोषी पाए हिमाचल पुलिस के 12 कर्मचारियों की सजा (कठोर दंड) माफ नहीं हुई है

शिमला, राज्य ब्यूरो। सोलन जिला के कसौली में पहली मई, 2018 को हुए गोलीकांड की विभागीय जांच में दोषी पाए हिमाचल पुलिस के 12 कर्मचारियों की सजा (कठोर दंड) माफ नहीं हुई है, लेकिन इनकी सजा तीन साल कम जरूर हुई है। सूत्रों के अनुसार डीजीपी ने अपील में तमाम तथ्यों, प्रभावित पक्ष की सुनवाई के बाद इन्हें दो साल की ही सजा सुनाई है। इससे पुलिस कर्मचारियों को राहत मिली है। पूर्व डीजीपी एसआर मरडी ने संबंधित फाइल पर कोई फैसला नहीं लिया था। लेकिन मौजूदा डीजीपी ने अपील का निपटारा कर दिया है। हालांकि अवैध निर्माण के लिए जिम्मेवार टाउन एंड कंट्री प्लाङ्क्षनग के अधिकारियों, सोलन में कार्यरत तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। केवल पुलिस अधिकारियों, कर्मियों को ही निलंबन, विभागीय जांच की कार्यवाही झेलनी पड़ी थी।

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आइजी ने दिया था कठोर दंड

आइजी रैंक के एक अधिकारी ने पुलिस कर्मियों की पांच साल की सेवाएं स्थायी तौर पर जब्त (फोरफिट) करने का आदेश दिया था। उनकी विभागीय जांच के अनुसार इन कर्मियों की गंभीर चूक सामने आई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार कसौली के तत्कालीन एसएचओ झगड़ा होने की आशंका के बावजूद अपने साथ हथियार ही नहीं ले गए थे। जबकि कसौली में बड़ी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया था। धर्मपुर के एसएचओ ने तो अपने नाम हथियार ही जारी नहीं करवाया था। गोलीकांड के बाद जिस सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी रात्रि नाके में लगाई, उस के सामने से आरोपित की गाड़ी निकली, चालक से गपशप की, पर आरोपित को गाड़ी में अंदर बैठे नहीं देखा। हालांकि उसने अपने डिफेंस में कहा कि वह तब ट्रैफिक खुलवाने गया था। जबकि उस की तैनाती दो अन्य कर्मियों के साथ नाके के लिए ही लगी थी। टीसीपी की अधिकारी शैल बाला के साथ जिस पुलिस की ड्यूटी लगी थी, उन्होंने भी लापरवाही बरती। दो क्यूआरटी के सशस्त्र जवान थे, उन्होंने बचाव में आरोपित पर कोई गोली नहीं चलाई। उन्होंने पीछा तक नहीं किया, जबकि टीम ने महिला को भोजन करने के लिए अकेले ही जाने दिया।

एसपी, डीएसपी के खिलाफ चार्जशीट ड्रॉप

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में 14 पुलिस अधिकारियों को चार्जशीट किया था। ऐसा मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर किया गया था। लेकिन एसपी, डीएसपी के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो पाए थे, इस कारण उनके खिलाफ चार्जशीट ड्रॉप हो गई थी।

एसडीएम पर नहीं कार्रवाई

तत्कालीन एसडीएम, नायब तहसीलदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। नायब के खिलाफ चार्जशीट तो जारी की थी, पर बाद में इसे भी ड्रॉप कर दिया था। टीसीपी के अफसरों पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर पाई थी। इस अफसरों को अवैध भवन निर्माण के लिए जिम्मेवार नहीं ठहराया गया। जबकि शैल बाजा भी सुप्रीमकोर्ट के आदेशों की पालना करने मौके पर गई थी। उसकी गोली लगने से मौत हो गई थी। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी का चौकीदार भी मारा गया था।

क्या है मामला

सोलन जिले के कसौली में पहली मई 2018 को अवैध निर्माण हटवाने के दौरान एक होटल मालिक ने टीसीपी की अधिकारी शैल बाला पर गोली चला दी थी। गोली लगने से लोक निर्माण विभाग के एक बेलदार गुलाब सिंह की भी बाद में मौत हो गई थी। तब सरकार ने पूरे मामले की शिमला के मंडलायुक्त से जांच करवाई।


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