कारगिल समेत लद्दाख होंगे अब और भी नजदीक, वैकल्पिक मार्ग से 215 किलोमीटर कम हो जाएगी दूरी
Kargil Road कारगिल अब एक अन्य वैकल्पिक मार्ग जो मनाली से शिंकुला और पदुम होकर गुजरेगा उससे जुडऩे जा रहा है।
मनाली, जसवंत ठाकुर। कारगिल में 21 साल पहले पाकिस्तान ने घुसपैठ की थी, इसके बाद युद्ध भी हुआ, जिसमें पड़ोसी को मुंह की खानी पड़ी थी। तबसे भारत ने कारगिल सहित लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों तक सड़कों का जाल बिछाना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में कारगिल अब एक अन्य वैकल्पिक मार्ग जो मनाली से शिंकुला और पदुम होकर गुजरेगा, उससे जुडऩे जा रहा है। अभी इस मार्ग पर छोटे वाहन जा रहे हैं, लेकिन जल्द बड़े वाहनों के लिए ये मार्ग तैयार हो जाएगा।
लाखंग के पास पुल निर्माण और रोड एलाइनमेंट का काम पूरा होने के बाद मनाली से जांस्कर घाटी के पदुम तक वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। कारगिल पदुम से पहले ही सड़क से जुड़ा है, लेकिन सही रखरखाव न होने से इसकी हालत ठीक नहीं है। अब पदुम को भी सुपर हाईवे से लेह-कारगिल हाईवे के साथ निम्मु में जोड़ा जा रहा है।
मनाली से कारगिल के लिए तीन दिन का समय लगता है। इस सड़क के बनने से यह सफर एक दिन में पूरा हो पाएगा। इस मार्ग के बनने से वाया लेह कारगिल की दूरी 215 किलोमीटर दूरी कम हो जाएगी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस मार्ग पर शिंकुला दर्रे में करीब तीन किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने जा रहा है। यह सुरंग भारतीय सेना को और मजबूती देगी। अटल रोहतांग सुरंग सितंबर में तैयार हो जाएगी। शिंकुला दर्रे में सुरंग के बनते ही सर्दियों में भी मनाली से कारगिल पहुंचा जा सकेगा।
पहले जांस्कर पहुंचने के लिए वाया बारालाचा, लेह, कारगिल व पदुम होकर रास्ता तय करना पड़ता था जो लगभग 1000 किलोमीटर पड़ता था। अब मनाली से शिंकुला होते हुए 200 किलोमीटर दूर सीधे जांस्कर घाटी पहुंच सकते हैं। बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि दारचा पदुम सड़क का कार्य जारी है। बीआरओ 70 आरसीसी ने शिंकुला तक सड़क की हालत सुधार ली है।
2018 में शिंकुला से जुड़ी थी जांस्कर घाटी
2018 में पुर्निया नदी में पुल बनते ही जांस्कर घाटी शिंकुला से जुड़ गई थी। 2019 में पहली बार मनाली के तीन युवा सुरेश, प्रीतम व विवेक मनाली से बाया शिंकुला होते हुए छोटी गाड़ी से जांस्कर घाटी के पदुम पहुंचे। इसी साल लाहुल घाटी के रोहतांग राइडर्स की रैली भी इसी मार्ग से कारगिल पहुंची थी।
सीमावर्ती क्षेत्रों की दूरी घटाकर देश की राहें आसान करने का यथासंभव प्रयास किया जा रहा है। बीआरओ एक विकल्प के तौर पर मनाली-शिंकुला-पदुम-कारगिल सड़क तैयार कर रहा है। पुलों और सड़क को चकाचक करने का काम जारी है। जल्द ही भारतीय सेना इस मार्ग का प्रयोग कर सकेगी। -ब्रिगेडियर एमएस बाघी, चीफ इंजीनियर बीआरओ दीपक परियोजना।