कोरोना काल में कांगड़ा चाय को मिली संजीवनी, मजदूर मिलने से 10 फीसद बढ़ा उत्पादन; जानिए खूबियां
Kangra Tea पहले मजदूर नहीं थे और काम ठप था। कफ्र्यू के दौरान कई लोग घरों में आए और अनुमति मिलने के बाद काम से जुड़े।
पालमपुर, शारदाआनंद गौतम। पहले मजदूर नहीं थे और काम ठप था। कफ्र्यू के दौरान कई लोग घरों में आए और अनुमति मिलने के बाद काम से जुड़े। इससे चायपत्ती के उत्पादन में 10 फीसद इजाफा हुआ है। अगर 20 दिन पहले लेबर की समस्या का समाधान हो जाता तो कई रिकॉर्ड टूट सकते थे। बावजूद इसके अप्रैल में चाय उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि शुरुआत में कोरोना से जूझते हुए बागवान अप्रैल तोड़ का लाभ नहीं उठा पाए। मौसम ने भी इस बार चाय उत्पादकों का साथ दिया। चाय की उम्दा फसल के लिए जिस प्रकार का मौसम चाहिए होता है वैसा इस साल आरंभ से रहा लेकिन लॉकडाउन के कारण शुरुआत में चाय पत्ती का पहला तुड़ान नहीं हो पाया।
बागवानों ने सरकार के समक्ष समस्या उठाई। इसके बाद अनुमति मिलने पर चाय पत्ती का तुड़ान हुआ। अप्रैल में कांगड़ा चाय का उत्पादन करीब 1.83 लाख किलो तक हुआ है। चाय उत्पादकों की समस्या को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने शारीरिक दूरी बनाकर चायपत्ती के तुड़ान को मंजूरी दी थी।
महत्वपूर्ण होता है अप्रैल तोड़
कांगड़ा चाय का अप्रैल तोड़ महत्वपूर्ण माना जाता है। नवंबर के बाद मार्च तक चाय के पौधों को पर्याप्त मात्रा में नमी और पोषक तत्व मिलते हैं। यही कारण है कि करीब पांच माह बाद जब चाय उत्पादक बागीचों से चाय पत्तियों को तोड़ते हैं तो वह गुणवत्ता और मात्रा में उम्दा रहती है। इस दौरान एंटीऑक्सीडेंट भी अधिक होते हैं। अप्रैल और मई में जो उत्पादन रहता है वह कुल उत्पादन के चालीस फीसद के बराबर होता है। अप्रैल से अक्टूबर तक चाय पत्ती का तुड़ान किया जाता है। अप्रैल से मई पहला चरण, जून-जुलाई दूसरा और अगस्त- सितंबर तक तीसरा और अक्टूूबर में चौथा चरण होता है।
- अप्रैल में कांगड़ा चाय का उत्पादन बेहतर रहा है। छोटे बागवानों ने इस दौरान 10650 किलोग्राम उत्पादन किया है। बड़े चाय उत्पादकों का इस माह उत्पादन 183353 किलोग्राम है। बीते वर्ष अप्रैल में चाय का उत्पादन 168626 किलोग्राम रहा था। -अनुपम दास, क्षेत्रीय उपनिदेशक, टीबोर्ड ऑफ इंडिया, पालमपुर।
- मौसम ने साथ दिया। बढिय़ा चाय हुई मगर कोरोना के कारण डेढ़ माह काम नहीं हो पाया। मार्च के दूसरे सप्ताह में चाय की पहली पत्ती का तुड़ान होता तो गुणवत्तापूर्ण चाय अधिक मिलती। हालांकि लेबर का प्रबंध होने के बाद पत्ती का तुड़ान हुआ मगर क्वालिटी पर प्रभाव पड़ा। बावजूद इसके चाय के उत्पादन में इजाफा हुआ है। -केजी बुटेल, चाय उत्पादक।
- कोरोना के कारण चाय पत्ती का तुड़ान काफी अधिक हुआ है। पहले श्रमिकों की समस्या रहती थी पर इस बार कोरोना के कारण अन्य काम धंधे नहीं थे। लिहाजा चायपत्ती के तुड़ान के लिए लेबर अधिक मिली। करीब दस फीसद उत्पादन बढ़ा है। -गोकुल बुटेल, चाय उत्पादक।