JCC Meeting Reaction: एनआर ठाकुर बोले, जेसीसी में जो लालीपाप दिया वह उपचुनाव की हार का नतीजा
JCC Meeting Reaction हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष एनआर ठाकुर ने कहा कि छह साल के बाद आयोजित जेसीसी की बैठक फ्लाफ साबित हुई है। इस जेसीसी को ऐसे प्रचारित किया जा रहा था मानो इससे पहले कभी जेसीसी हुई ही न हो
मंडी, जागरण संवाददाता। JCC Meeting Reaction, हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष एनआर ठाकुर ने कहा कि छह साल के बाद आयोजित जेसीसी की बैठक फ्लाफ साबित हुई है। इस जेसीसी को ऐसे प्रचारित किया जा रहा था मानो इससे पहले कभी जेसीसी हुई ही न हो और इस बैठक के माध्यम से सब समस्याओं का हल निकल आएगा। लेकिन यह बैठक खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसी साबित हुई है। पे स्केल की घोषणा पूरे छह साल के बाद करना कोई क्रेडिट लेने वाली बात नहीं है। अनुबंध अवधि को दो साल करने के लिए भाजपा ने अपने विजन डाक्यूमेंट में शामिल करने के बावजूद पूरे चार वर्ष लगा दिए। इससे हजारों कर्मचारियों का नुकसान हुआ है।
2009 की फैमिली पेंशन की घोषणा हिमाचल में 2021 के अंत में हो रही है। दैनिकभोगी और अंशकालीन का सेवाकाल एक वर्ष कम करना उनका अपमान करने जैसा है। अगर यही सब करना था तो जेसीसी की बैठक के लिए चार वर्ष क्यों लगा दिए। सरकार कर्मचारियों के असली मुद्दों से पूरी तरह भटक चुकी है, जिसमें ओपीएस की बहाली, सेवानिवृत्ति की आयु में एकरूपता लाना, अनुबंध की जगह नियमित नौकरी देना, आउटसोर्स, सोसायटी और प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए नीति बनाना, पंजाब की तर्ज पर सभी भत्ते देना आदि कई प्रमुख मुद्दे थे, इनसे सरकार ने किनारा कर लिया।
यह जो कर्मचारियों को जेसीसी में लालीपाप दिया भी है, यह भी उपचुनावों में करारी हार की वजह और 2022 के चुनावों के खतरे को सामने देख मजबूरी वश देना पड़ा है। वरना सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा सबके सामने है। यह सरकार टायर्ड और रिटायर्ड को नौकरी देने पर कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाती थी। लेकिन खुद आज चेहतों को एक्सटेंशन देने वाली एजेंसी बन गई है।
कई विभागों में तो भ्रष्टाचार के भी रिकार्ड टूट रहे हैं और कोई कार्रवाई अमल में नही लाई जा रही है जिससे गलत काम करने वालों के हौसले बुलंद है। ठाकुर ने कहा की जिस सरकार ने अपने पांव में कुल्हाड़ी मारनी ही है उसकी वैतरणी कोई पार नही लगा सकता। जेसीसी फुस्स बम साबित हुआ जिसे सरकार ने तुरुप के पत्ते के तौर पर खेला तो जरूर लेकिन खुद अपने बुने जाल में फंस गई।
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